रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने सोमवार को कहा कि भारत, रूस और यूक्रेन के बीच दुश्मनी को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करता रहा है. UNSC ब्रीफिंग के दौरान रवींद्र ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने बार-बार तुरंत सीजफायर का आह्वान किया है. उन्होंने इस बात पर हमेशा ही जोर दिया है कि बातचीत और कूटनीति के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. रवींद्र ने कहा कि मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मानवीय स्थिति गंभीर हो गई है. 


यूक्रेन से भारतीयों की निकासी पर प्रकाश डालते हुए रवींद्र ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए गहन और तत्काल कदम उठाए. अब तक करीब 22,500 भारतीय सकुशल घर लौट चुके हैं. उन्होंने कहा, हम अपने सभी सहयोगियों के हमारे निकासी प्रयासों में उनके समर्थन के लिए आभारी हैं. हम शत्रुता को रोकने के लिए सीधे संपर्क और बातचीत का आह्वान करते हैं.


रूस और यूक्रेन के संपर्क में भारत


रवींद्र ने यह भी कहा कि भारत इस संबंध में रूसी संघ और यूक्रेन दोनों के संपर्क में है और आगे भी रहेगा. उन्होंने कहा कि "हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करना जारी रखे हुए हैं." उन्होंने यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) द्वारा निभाई गई भूमिका की भी सराहना की. 


सुरक्षा स्थिति में गिरावट


उन्होंने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा स्थिति में गिरावट ने विशेष निगरानी मिशन के कामकाज को रोक दिया है. उन्होंने कहा कि भारत आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए ओएससीई मिन्स्क समूह के निरंतर प्रयासों का समर्थन करता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत का मानना ​​है कि संघर्ष का कोई भी स्थायी समाधान, केवल राजनयिक वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्वक प्राप्त किया जा सकता है. हम दोनों देशों से समझौते को लागू करने का आह्वान करते हैं. 


OSCE के योगदान को भी दोहराया


उन्होंने कहा कि "वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों और OSCE के योगदान को ध्यान में रखते हुए, हम इस अवसर पर इस मुद्दे के महत्व को दोहराना चाहेंगे." "ओएससीई 2001 में भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करने वाले पहले क्षेत्रीय संगठनों में से एक था. ओएससीई को इस तरह के सीमापार आतंकवादी कृत्यों और अन्य नए और उभरते खतरों को ध्यान में रखना चाहिए. 


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