Lok Sabha Election: देश में चंद महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन पूरे जोर-शोर के साथ तैयारियां कर रहा हैं. वहीं, दूसरी ओर एनडीए को हराने का ख्वाब सजाए बैठे इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. लोकसभा चुनाव में जीत को ध्यान में रखते हुए पिछले साल इंडिया गठबंधन का गठन हुआ, लेकिन इसमें शामिल पार्टियों के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, जिसने टेंशन बढ़ा दी है. 


इंडिया गठबंधन में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है, जो कई दलों को पसंद नहीं आ रहा है. सबसे ताजा उदाहरण पंजाब और पश्चिम बंगाल हैं, जहां कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के लिए राज्य के दो दलों के बीच सहमति नहीं बनी है. पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भगवंत मान ने कहा है कि उनके राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा. यही बातें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने भी कही हैं. 


विपक्षी दलों के जरिए मिलकर बनाए गए गठबंधन इंडिया की राहें बेहद मुश्किल नजर आने लगी हैं. माना जा रहा है कि इसी तरह की बगावत अन्य राज्यों में भी हो सकती है. ऐसे में आइए 10 प्वाइंट में जानते हैं कि पंजाब और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे से इनकार करने के बाद किस तरह से बाकी राज्यों में भी इंडिया गठबंधन के लिए कितनी मुश्किलें होने वाली हैं. 



  • कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 543 में से 255 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. हालांकि, उत्तर से लेकर दक्षिण तक के राज्यों में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर घमासान देखने को मिल रहा है. सबसे ज्यादा मुश्किल उन राज्यों में हो रही है, जहां पिछले कुछ सालों में कांग्रेस कमजोर हुई है. 

  • कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम बंगाल बना है, जहां पार्टी चाहती है कि उसे 6 से 10 सीटें दी जाएं. मगर टीएमसी दो सीटों का ही ऑफर दे रही है. टीएमसी लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ने में भी दिलचस्पी नहीं ले रही है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता को मौकापरस्त तक कह दिया है. 

  • दिल्ली में भी कांग्रेस और आप का गठबंधन होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस को आप ने दिल्ली की 7 में से तीन सीटें ऑफर की हैं. मगर आप इसके बदले कांग्रेस से गुजरात, हरियाणा और गोवा में सीटें चाहती है. हालांकि, कांग्रेस इन राज्यों में प्रमुख विपक्षी दल है और आसानी से सीटें नहीं देना चाहती है. 

  • पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं. पहले यहां कांग्रेस को 6 और आप को 7 सीटें देने पर बात चल रही थी. मगर अब साफ हो गया है कि पंजाब में गठबंधन बेहद मुश्किल होने वाला है. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने पहले ही कह दिया है कि राज्य में पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 

  • महाराष्ट्र भी कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया है. 48 लोकसभा सीटों वाले राज्य में शिवसेना (यूबीटी) ने यह कहकर 23 सीटों की मांग रख दी है कि उसने पिछली बार इतनी सीटों पर चुनाव लड़ा और 18 पर जीत हासिल की. कांग्रेस चाहती है कि उसे राज्य में कम से कम 20 सीटें मिलें, जो कि काफी मुश्किल है.

  • बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, जिसमें से जेडीयू 16-17 पर चुनाव लड़ना चाहती है. आरजेडी भी 17 सीटें चाहती है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के पास 6-7 सीटें ही रह जाएंगी. इंडिया गठबंधन का पेंच यहां पर भी फंस रहा है, क्योंकि कांग्रेस 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. 

  • उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें हैं. कांग्रेस चाहती है कि उसे 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिले. यहां समाजवादी पार्टी बड़े भाई की भूमिका में रहने वाली है. सपा और आरएलडी ने गठबंधन कर लिया है. ऐसे में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए यहां 20 सीटें मिलना मुश्किल ही है. 

  • हरियाणा, गुजरात और गोवा जैसे तीन राज्य ऐसे हैं, जहां शायद इंडिया गठबंधन को ज्यादा परेशानी नहीं हो. इसकी वजह ये है कि यहां कांग्रेस ही प्रमुख विपक्षी दल है. हालांकि, इन राज्यों में आप की तरफ से आवाज उठ रही है. आप हरियाणा में 10 में से कम से कम 2 से 3 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. 

  • झारखंड में कांग्रेस का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में खराब रहा है. 14 सीटों वाले झारखंड में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस को यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ बंटवारा करना है. उम्मीद है कि यहां 7-7 सीटों के साथ दोनों के बीच समझौता हो सकता है. 

  • तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में इंडिया गठबंधन को ज्यादा मुश्किलें नहीं उठानी पड़ सकती हैं. यहां कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा था और ऐसे में सीट बंटवारा आसानी से हो सकता है. हालांकि, इन सबके बाद भी उत्तर भारत में तो इंडिया गठबंधन की मुश्किल कम नहीं होगी. 


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