नई दिल्ली: हाल ही में ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन मिलने की बात सामने आई थी. अब वहां एक और नया स्ट्रेन मिला है. ब्रिटेन की सरकार के मुताबिक, ये नया स्ट्रेन साउथ अफ्रीका से वहां पहुंचा है. वहीं ये हाल में सामने आए स्ट्रेन से ज्यादा संक्रामक है. खुद ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने बुधवार को बताया कि दक्षिण अफ्रीका में सामने आए कोविड-19 के नए वेरिएंट के भी दो मामले ब्रिटेन में मिले हैं.


विशेषज्ञों के मुताबिक, नया पाया गया ये वेरिएंट साउथ अफ्रीका वाला स्ट्रेन है. हाल ही साउथ अफ्रीका से आए लोगों के जरिए वहां फैला. ये नया स्ट्रेन भी काफी तेजी से फैलता है. इसे संक्रमण की दर तेज है. इसलिए हाल में साउथ अफ्रीका से आए लोगों को तुरंत आइसोलेट होने को कहा गया है.


भारत सरकार पहले से स्तिथि पर नजर बनाए हुए है और उसके मुताबिक काम कर रही है. भारत में जानकारों का मानना है कि वायरस का म्यूटेशन होता है. लेकिन इसका पता लगाने के लिए ब्रिटेन में अच्छे प्रयास लिए जा रहे हैं. वहां ना सिर्फ आरटी पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं बल्कि साथ ही जिनोम सिक्वेंसिंग के जरिए वायरस के वेरिएंट का भी पता लगाया जा रहा है. इसलिए पिछले वायरस के म्यूटेशन के बारे में भी पता चला. इसी वज़ह से नए साउथ अफ्रीका वाले वेरिएंट का पता चला है.


कम्यूनिटी मेडिसिन एम्स के डॉ संजय राय ने कहा, “पहले तो हम यूके की तारीफ करेंगे कि वह जेनेटिक सिक्वेंस करते रहते हैं. हम सिर्फ आरटी-पीसीआर करते रहते हैं वो दुनिया में सबसे ज्यादा आरटी-पीसीआर ही नहीं बल्कि किस तरह का वेरिएंट सर्कुलेशन में वो भी पता करते रहते हैं इसलिए वो जल्दी डिटेक्ट कर लेते हैं. अभी दो चार दिन पहले एक वेरिएंट डिक्लेर किया था जो उनके यहां पाया गया था. जो दूसरा वेरिएंट है जिसको दक्षिण अफ्रीका ने कहा था कि उनके यहां नया वेरिएंट है...जोकि म्यूटेशन करके आ गया है और उसकी वजह से उनके यहां केस ज्यादा हो रहे हैं. पिछले 1 महीने से दक्षिण अफ्रीका में केस बढ़ रहे हैं. उन्होंने उस को पहचाना है कि यह जो नया वेरिएंट है, पहले वाले से ज्यादा ट्रांसमिसिबल है. मतलब इंफेक्शन की दर इसमें ज्यादा है. यह उनका आंकलन है. अभी इसमें एविडेंस नहीं है. ब्रिटेन में एक-दो केस ऐसे डिटेक्ट हुए क्योंकि वह जेनेटिक सिक्वेंसिंग की सेम टाइप का वेरिएंट आया हुआ है लेकिन उसके लिए उनके पास अभी बहुत एविडेंस नहीं है.”


जानकार बताते है कि अभी यूके में मिले इस वेरिएंट पर दक्षिण अफ्रीका पहले ही बता चुका है कf ये वेरिएंट भी काफी संक्रामक है और बहुत तेजी से फैलता है. यही वजह है कि दक्षिण अफ्रीका में केस बढ़ रहे हैं. हालांकि इसके कोई पुख्ता सबूत अभी नहीं हैं.


डॉ संजय राय कहते हैं, “यूके ने तो नहीं लेकिन साउथ अफ्रीका ने जरूर कहा है कि वेरिएंट बहुत ज्यादा इनफेक्शियस है. कितना इनफेक्शियस है, उस तरह की मॉडलिंग नहीं की है जिस तरह की मॉडलिंग कर यूके ने कहा था. जो मॉडलिंग एक्सरसाइज है, बिलकुल सटीक एविडेंस नहीं है लेकिन ब्रिटेन ने उसको एक मॉडलिंग एक्सरसाइज करने के बाद कहा कि करीब 70 फ़ीसदी लगता है. इसमें और एविडेंस जेनरेट करने की जरूरत है. वैसे साउथ अफ्रीका ने कहा है कि यह बहुत इनफेक्शियस है, उनके यहां इस वजह से केस बढ़ें हैं.”


आईजीआईबी-सीएसआईआर के डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा, “जो साउथ अफ्रीका का स्ट्रेन यूके में मिला उसमें एक फर्क और एक समानता है. दोनों स्ट्रेन में 501 अमीनो एसिड एक चेंज कॉमन है. उसके अलावा कई म्यूटेशन है. ये बदलाव है. इसको देखते हुए कह सकते हैं कि दोनों अलग-अलग जगह पैदा हुए हैं. अब दोनों एक जगह मिल रहे हैं, बात अलग है. सिर्फ तेज़ फैलने के अलावा, घातक जैसी कोई चीज नजर नहीं आई है. मुझे आशा है कि कुछ ऐसा होगा नहीं. क्योंकि ऐसे वेरिएशन कई बार आए हैं और अभी तक इस वायरस में घातक या बढ़ने का अंदेशा नहीं है.”


हालांकि, यूके में म्यूटेशन की खबर के बाद  भारत सरकार काफी सतर्क हो गई है.  इसके बारे में जानकारी जुटाने के अलावा कई फैसले लिए.


सरकार यूके से आने वाली फ्लाइट्स पर 31 तारीख तक रोक लगा दी है.


वहीं यूके से पिछले दो दिनों आए यात्रियों का आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाया जा रहा है.


पॉजिटिव आने पर न सिर्फ अलग आइसोलेशन कर रही है  बल्कि सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिग भी करवाई जा रही है ताकि ये पता चले कि यूके का स्ट्रेन है या नहीं.


वहीं नेगेटिव पाए गए यात्रियों को भी क्वॉरन्टीन रहने के निर्देश दिए गए हैं. इन सबका सर्विलांस होगा और आगे पॉजिटिव आने पर इनके सैंपल की भी जिनोम सिक्वेसिंग कराई जाएगी.


वहीं पिछले कुछ समय में यूके से आए यात्रियों का टेस्ट होगा.


मंगलवार को सरकार ने कहा था कि अभी तक यूके म्यूटेशन के सबूत नहीं मिले है. वहीं सरकार को पॉजिटिव पाए गए लोगों की जिनोम सिक्वेसिंग की रिपोर्ट का इंतजार है.