Monsoon Updates: भारत में इस साल जून और सितंबर के बीच 'सामान्य से ज्यादा' मानसूनी बारिश होने की संभावना जताई गई है. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 2024 के लिए मानसून के पूर्वानुमान में इस बात की जानकारी दी है. 2023 के सीजन में देश में सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की गई थी. विभाग की तरफ से दिए गए पूर्वानुमान के मुताबिक देशभर में बारिश की कुल संभावना 5% एरर मार्जिन के साथ 'लॉन्ग पीरियड एवरेज' (एलपीए) का 106% होगी.


आईएमडी ने कहा है कि वह मानसून के लिए अपने पूर्वानुमान को मई के आखिरी हफ्ते में अपडेट भी करेगा, जब ज्यादा साफ तस्वीर सामने आएगी. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, "सामान्य से अधिक मानसून के लिए सभी परिस्थितियां अनुकूल हैं. डायनेमिकल और स्टैटिस्टिकल दोनों मॉडल संकेत दे रहे हैं कि देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून अच्छा रहेगा." ऐसे में इस साल मानसून के मौसम में देश के अलग-अलग हिस्सों में झमाझम बारिश होने वाली है. 


मानसून को लेकर क्या-क्या संभावना है?


मौसम विभाग की तरफ से जताए गए पूर्वानुमान के मुताबिक, सामान्य से अधिक मानसून की 31% संभावना, सामान्य मानसून की 29% संभावना, अधिक मानसून की 30% संभावना, सामान्य से कम मानसून की 8% संभावना और कमजोर मानसून की केवल 2% संभावना बताई गई है. उत्तर-पश्चिम, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद जताई गई है. हालांकि, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक मौसमी वर्षा होने की संभावना है. 


देश की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है मानसून


मानसून की वजह से भारत को लगभग 70 फीसदी बारिश मिलती है. इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर होता है. देश के 51 फीसदी कृषि क्षेत्र से होने वाला 40 फीसदी उत्पादन सीधे तौर पर बारिश पर आधारित होता है. इस 51 फीसदी कृषि क्षेत्र पर 47 फीसदी आबादी आजीविका के लिए निर्भर है. मानसून की शुरुआत जून के महीने से होने वाली है.


इस प्रकार भारी या बहुत भारी बारिश वाले दिनों के विपरीत लगातार और मध्यम मात्रा में बारिश देश के कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है. अच्छी बारिश चीनी, दालें, चावल और सब्जियों जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमतों को कंट्रोल रखने में मदद कर सकती है, जिससे महंगाई की समस्या पर भी लगाम लगेगी.  


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