Ideas of India: एबीपी नेटवर्क के आइडिया ऑफ इंडिया समिट में बात करते हुए डॉ परकला प्रभाकर ने हैदराबाद की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए एक किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि अभी भारत की पुनर्कल्पना किस तरह की जा रही है. उन्होंने कहा कि मैं हैदराबाद से आ रहा था. सुरक्षा जांच के दौरान, कांस्टेबल बार-बार कह रहा था 'एक ट्रे, एक बैग'. एक सेकंड के लिए मुझे लगा कि यह कांस्टेबल राजनीतिक बयान क्यों दे रहा है. 


डॉ परकला ने कहा कि ऐसा लगने की वजह ये थी कि इन दिनों एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक भाषा वगैरह की बात हो रही है. तब मुझे एहसास हुआ कि एयरपोर्ट पर इस तरह की बात की जाती है. लेकिन आज भारत की पुनर्कल्पना कुछ इसी तरह से हो रही है. उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सवालों को उठाते हुए बताया कि इन सवालों पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने सवाल किया, 'हम भारत को कैसे देखते हैं? भारत क्या है? भारतीय कौन हैं? हम किस प्रकार का राष्ट्र बनाने जा रहे हैं?'


आखिर भारतीय कौन हैं? डॉ परकला ने दिया जवाब


डॉ परकला ने बताया कि आखिर भारतीय कौन हैं? उन्होंने कहा, 'भारत हर किसी का है जो यहां है, हर नागरिक का है. नागरिकता का संबंध भाषा, धर्म, क्षेत्र या किसी चीज से नहीं है. लेकिन जो भी भारत में है वो भारतीय है. उदार, विविध और न केवल सहिष्णुता बल्कि मतभेदों को स्वीकार करते हुए इस लंबी यात्रा में हर भाषा या व्यक्ति को समान मालिक या समान भागीदार के रूप में देखना ही भारत का सफर है.'


'कांग्रेस नहीं चाहती कि हम मुगल साम्राज्य पर सवाल उठाएं'


एक अमेरिकी इतिहासकार के रेफरेंस का हवाला देते हुए कि 'अतीत में लोगों ने जो किया वह एम्बर में संग्रहीत नहीं है', इतिहासकार और स्कोलर डॉ. विक्रम संपत ने कहा कि हर पीढ़ी पीछे मुड़कर देखती है और अपने खुद के अनुभवों से अतीत और वर्तमान का पैटर्न बनाती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि हम मुगल साम्राज्य के सांस्कृतिक साम्राज्यवाद पर सवाल उठाएं. वे अंग्रेजों से अलग तरह के उत्पीड़क भी थे. हमारे अतीत के इन पहलुओं के बारे में बात करना भी आपको एक सांप्रदायिक और कट्टर व्यक्ति के रूप में चित्रित करता है. सबसे बड़ी परेशानी यही है.


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