ISRO Aditya L1 Mission: भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 शनिवार (6 जनवरी) को अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया. यह सूर्य-पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के 'लैंगरेज पॉइंट 1 (L1)' की प्रभामंडल कक्षा (Halo orbit) में पहुंच गया.


आदित्य एल1 अपने साथ सात पेलोड लेकर 126 दिन तक 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अपनी मंजिल में पहुंचा है. इसे 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था. इसरो के दावे के मुताबिक, मिशन अब एल1 प्वाइंट से बिना किसी ग्रहण और बेरोकटोक के लगातार सूर्य से संबंधित अध्ययन कर सकेगा. 


इसके सात पेलोड को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे सूर्य की परतों फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत (कोरोना) का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स का इस्तेमाल करते हुए निरीक्षण करेंगे. आखिर आदित्य एल1 मिशन में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की क्या भूमिका है, आइये जानते हैं.


ईएसए आदित्य एल1 को कैसे सपोर्ट कर रही है?


ईएसए की आधिकारिक वेबसाइट के हवाले से एचटी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी दो प्रमुख क्षेत्रों में आदित्य-एल1 मिशन को सक्रिय रूप से सहायता कर रही है. इसमें इसरो की सहभागिता से गहन अंतरिक्ष संचार सेवाएं प्रदान करना और महत्वपूर्ण उड़ान गतिशीलता सॉफ्टवेयर को मान्य करना शामिल है.


इसरो के ईएसए सेवा प्रबंधक और क्रॉस-सपोर्ट संपर्क अधिकारी रमेश चेल्लाथुराई ने बताया, ''आदित्य-एल1 मिशन के लिए हम ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और अर्जेंटीना में अपने तीनों 35-मीटर गहन अंतरिक्ष एंटेना (Deep Space Antennas) से सपोर्ट कर रहे हैं, साथ ही फ्रेंच गुयाना में हमारे कौरौ स्टेशन से सपोर्ट कर रहे हैं और यूके में गोनहिली अर्थ स्टेशन से समन्वित समर्थन प्रदान कर रहे हैं.''


ईएसए अंतरिक्ष अभियानों में संचार के महत्व पर जोर देता है. ईएसए के मुताबिक, ग्राउंड स्टेशन के समर्थन के बिना वैज्ञानिक डेटा प्राप्त करना, अंतरिक्ष यान की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उसके ठिकाने का निर्धारण करना असंभव होगा.


ग्राउंड स्टेशन सेवाओं की प्रोवाइडर है ईएसए 


ईएसए आदित्य-एल1 के लिए ग्राउंड स्टेशन सेवाओं का प्राथमिक प्रदाता (प्राइमरी प्रोवाइडर) है, जो मिशन को विभिन्न चरणों के माध्यम से लॉन्च करने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अगले दो वर्षों में प्रत्येक दिन कई घंटों तक नियमित संचालन के दौरान अहम लॉन्च और प्रारंभिक ऑर्बिट फेज, एल1 की यात्रा, कमांड के ट्रांसमिशन को सक्षम करना और आदित्य-एल1 से वैज्ञानिक डेटा प्राप्त करना शामिल है. 


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