Protest Against Reservation: पिछले महीने जम्मू कश्मीर के दौरे पर गये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहाड़ी लोगों को एससी-एसटी कैटेगरी में आरक्षण देने का वादा किया था. इसी वादे को लेकर अब बवाल मच गया है. इस फैसले से ST कोटे में पहले से शामिल गुर्जर बकरवाल समाज के लोगों को अपना कोटा खतरे में नजर आ रहा है. इसी के मद्देनजर उन्होंने दिल्ली में डेरा डाल दिया है और जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.  


गुर्जर बकरवाल समाज की दो संस्थाओं पथिक सेना और अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के सदस्यों ने मंगलवार दोपहर दिल्ली के जंतर मंतर पर भारी संख्या में पहुंच कर पहाड़ी जातियों को वादे के मुताबिक दिए जाने वाले आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में दिल्ली समेत जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश , हरियाणा , राजस्थान के गुर्जर बकरवाल समाज के लोग एकत्रित हुए और पहाड़ी समुदाय के शामिल होने का विरोध किया.


दरअसल 4 अक्टूबर 2022 को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के राजौरी में संबोधन के दौरान यह वादा किया था कि पहाड़ी लोगों को भी ST कोटे के अंतर्गत आरक्षण दिया जाएगा. 
 
जनरल से सीधे एससी-एसटी में कैसे आ गये?
इसके अध्यक्ष ने पूछा कि गृह मंत्री ने राजौरी में जाकर एलान तो कर दिया कि हम इस कोटे में तमाम पहाड़ी भाषियों को आरक्षण देंगे और उनको शामिल करेंगे. उन्होने कहा कि इसमें कोई नियम कानून और प्रोसिजर भी तो होगा? उन्होंने पूछा कि जनरल कैटेगरी से कोई सीधे SC/ST कैटेगरी में कैसे आ गया?


पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर ने स्पष्ट कहा कि हम किसी को भी अपने कोटे में बर्दाश्त नहीं करेंगे. किसी को आरक्षण देना है तो अलग कैटेगरी बना दो. ये मेरी भोली भाली राष्ट्रभक्त कौम है जो इधर से उधर घूम कर जीवन यापन कर रही है. इनकी दयनीय स्थिति देखकर इनको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मंडल कमीशन ने 1991 में शेड्यूल ट्राइब में आरक्षण देना शुरू किया था. तब चंद्रशेखर जी इस देश के पीएम थे लेकिन अब हमारे बच्चे थोड़ा पढ़ कर सरकारी पदों पर पहुंचने लगे तो हम इनकी आंखों में कांटा बन गए.


असंवैधानिक फैसला ले रही है बीजेपी
प्रदर्शन कर रहे यासिप चौधरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शेड्यूल ट्राइब में बकरवाल गुज्जर समाज को 1991 में जोड़ा गया. आरक्षण के बाद अब आर्टिकल 370 टूटने के बाद फॉरेस्ट एक्ट का फायदा नहीं मिला बल्कि वहां के वंचित लोगों को छोड़ कर संपन्न लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई. बीजेपी असंवैधानिक फैसला ले रही है.


जफर इकबाल के अनुसार जम्मू कश्मीर में हमे 10% आरक्षण दिया जा रहा था और भारत के बाकी राज्यों में 7.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था. लेकिन अब इसका लाभ हमें नही मिल पाएगा. 
मुस्सरत अपनी आपबीती बताते हुए कहते हैं कि हमे आज भी गाड़ी के अंदर नही बैठने दिया जाता है. हमारे लोग आज भी जानवरों को चराते हैं. पहाड़ी जो अपने पहाड़ी होने के दावा कर रहे हैं वो असल में पहाड़ी नही हैं. ये संपन्न लोग हैं.


मांगे पूरी नहीं होने पर करेंगे देशव्यापी आंदोलन
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मुखिया गुर्जर मांगे पूरी ना होने की सूरत में देशव्यापी प्रदर्शन का एलान करते हुए कहते हैं कि मांग पूरी नहीं हुई तो वैसे ही रेल की पटरियां उखड़ेंगी जैसे राजस्थान के आंदोलन में हुआ था. उसमे भी मैं ही था. हमारी जो संख्या है उसके अनुपात में आरक्षण बढ़ाओ. हमारे आरक्षण पर किसी ने कुढ़ाराघाट किया तो पूरे देश के राज्यों की व्यवस्था ठप हो जाएगी.


जिस समाज की जितनी संख्या है उसको उतना प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन हमारी जनसंख्या है 30 प्रतिशत और हमे 7.5% आरक्षण मिल रहा है. मेरी मांग ये भी है कि हमे जनगणना करा कर हमारी निश्चित जनसंख्या को सामने लाओ और फिर आरक्षण दो.


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