काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में RSS भवन संचालन को लेकर वाराणसी न्यायालय के सिविल जज जूनियर डिवीजन में सुनवाई हुई. अब इस मामले में 28 जनवरी को अगली सुनवाई होगी. दरअसल 1 जुलाई 2023 को प्रमील पांडे की तरफ से वाराणसी न्यायालय में एक वाद दाखिल किया गया था जिसमें उनका कहना है कि BHU परिसर में RSS भवन संचालित होता था, लेकिन आपातकाल 1975-76 में परिसर में स्थित RSS भवन को तोड़ दिया गया, इसके अलावा संघ से जुड़ी गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई थी. 

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1 जुलाई 2023 को दाखिल किया गया था मामला 

BHU परिसर में RSS भवन संचालन करने को लेकर वाद दाखिल करने वाले प्रमील पांडे ने बताया कि देश की आजादी से पहले ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पूज्य महामना द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए जमीन दी गई थी. वहां पर संघ की गतिविधियां, आयोजन संचालित किए जाते थे. इसके अलावा RSS भवन का भी वहां पर निर्माण किया गया था, लेकिन 1976 आपातकाल दौर में इसे तोड़ दिया गया और इसकी गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई. इसलिए हमारी मांग है कि अब जो जमीन पहले से स्वीकृत है वहां पर पुनः संचालन के लिए हमें अनुमति प्रदान की जाए. 

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अगली सुनवाई 28 जनवरी को

वहीं इस मामले में वादी का वाराणसी के सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट में पक्ष रख रहे गिरीश चंद्र उपाध्याय ने कहा कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी . BHU प्रशासन की तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा. 

पंडित मदन मोहन मालवीय की पहल पर बना था संघ का भवन

प्रमील पांडेय ने जो वाद दाखिल किया है उसके मुताबिक, बीएचयू के परिसर में 1931 में RSS की शाखा प्रारंभ हुई थी. महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पहल पर साल 1937  से 28 के बीच दो कमरों का एक संघ भवन भी बनवाया गया था. यह भवन उस समय के कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद ने निर्मित कराया था. वर्तमान में यह भवन संघ स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. इसे साल 22 फरवरी 1976 को तत्कालीन कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में रातों रात ध्वस्त कर दिया गया था. मामला अब कोर्ट में चल रहा है.