नई दिल्ली: कोई भी व्यक्ति लोन तभी लेता है जब वो अपनी जरूरतों को मौजूदा आमदमी या फिर अपनी जमापूंजि के सहारे पूरा नहीं कर सकता. ऐसा स्थिति में वो किसी बैंक के पास जाकर लोन लेता और फिर बाद में सालों तक इसे चुकाता रहता है. 


बैक भी लोन के लिए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तरह तरह स्कीम और ऑफर लाते रहते हैं. इन के चक्कर में आकर अगर व्यक्ति लोन तो ले लेता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि लोन ठीक से ना चुकाने पर ग्राहक को कई और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है.


लोन के साथ व्यक्ति पर उस पर लगने वाले ब्याज को चुकाने की जिम्मेदारी भी होती है. अगर आपने हाल फिलहाल में किसी बैंक से लोन लिया है या फिर आगे लेने की सोच रहे हैं तो आप एक्सपर्ट्स के इन पांच मशवरों को अपने जेहन में जरूर रखें. 


समय से करें EMI का भुगतान
लोन लेने के बाद सबसे जरूरी है कि आप अपनी ईएमआई एक दम समय से भरें. अगर आपने किसी कारण से ईएमआई नहीं भर पाए हैं तो इसका खामियाजा आपको  भारी पेनल्टी चार्ज और ब्याज के तौर पर देना पड़ेगा. लोन की ईएमआई समय से ना देने पर बैंक आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब कर सकत है, इससे अगर आप भविष्य में लोन लेने जाएंगे तो आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.


इमरजेंसी फंड बनाएं और इसमें EMI भी शामिल करें
कहते हैं कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है इसलिए पहले से ही सारी तैयारी कर लेनी चाहिए, लोन के मामले में भी ऐसा ही है. इसलिए आप एक इमरजेंसी फंड बनाएं. यह इमरजेंसी फंड अचानक नौकरी छूटना, गंभीर बीमारी या किसी और संकट के समय आपके काम आएगा. अगर आपने कोई लोन लिया है तो इस इमरजेंसी फंड में अपनी EMI को भी शामिल करें. यह इमरजेंसी फंड कम से कम छह महीने के जरूरी खर्चों के हिसाब से होना चाहिए. तो अगर आपने लोन लिया है तो अपने इमरजेंसी फंड में आज से EMI शामिल करें.


जब भी संभव हो बैलेंस ट्रांसफर करें
बैलेंस ट्रांसफर कम ब्याज दर पाने का एक आसान तरीका है लेकिन इसका इस्तेमाल बेहद सूझबूझ के साथ करना चाहिए. दरअसल बैंक ट्रांसफर के जरिए आप अपने मौजूदा लोन को किसी और बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं, जहां आपकी बैंक के मुकाबले ब्याज दर कम हो. अगर आपने लंबे समय के लिए लोन लिया है तो वक्त वक्त पर दूसरे बैंकों ब्या दर चेक करते रहने चाहिए. 


बैलेंस ट्रांसफर के वक्त एक और बात जो ध्यान रखने वाली है कि  प्री-पेमेंट फीस वगैरह पहले ही चेक कर लें. सभी चार्ज लगने के बाद अगर आपको ब्याज दर में राहत मिल रही है तो बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प जरूर चुनें.


प्री-पेमेंट करके भी ब्याज की लागत कम कर सकते हैं
लोन की ईएमआई को समय से भरनी ही चाहिए, इसके अलावा अगर आपके पास किसी महीने में एक्सट्रा पैसे आते हैं तो आप प्री-पेमेंट भी कर सकते हैं. प्री-पेमेंट से ब्याज की लागत कम कर सकते हैं. अगर आपने हाल फिलहाल में लोन लिया है तो ऐसे में प्री-पेमेंट करे ब्याज की लागत कम की जा सकती है. प्री-पेमेंट करने से पहले अपने बैंक से इस बार में जानकारी जरूर ले लें. कुछ बैंक प्री-पेमेंट करने पर कुछ भी फीस भी वसूलते हैं, ऐसे में फीस अगर ब्याद दर से ज्यादा तो फिर प्री-पेमेंट नहीं करनी चाहिए.


अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहें
अगर आपने लोन लिया है हुआ है या फिर लोन लेने वाले हैं तो आपको अपनी क्रेडिट रिपोर्ट जरूर देखते रहें, आपने लोन के पेमेंट के आधार पर आपकी एक क्रेडिट रिपोर्ट तैयार होती है. क्रेडिट ब्यूरो इस रिपोर्ट में अलग अलग लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी रखता है. साल में एक बार आप क्रेडिट ब्यूरो से फ्री में अपनी क्रेडिट रिपोर्ट ले सकते हैं.