Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. अदालत ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के 6 महीने में अमरावती को ही राजधानी बनाने के आदेश पर रोक लगा दी है. बता दें कि, हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य को अमरावती कैपिटल सिटी और राजधानी क्षेत्र का निर्माण और विकास छह महीने के भीतर करने का निर्देश दिया था. 


न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा किस तरह के निर्देश पारित किए गए हैं, क्या अदालत एक टाउन प्लानर हो सकती है? अदालत चाहती है कि योजना दो महीने में पूरी हो जाए. पीठ ने आगे कहा कि यह एक संप्रभु राज्य को कैसे बांध सकता है कि इसे एक विशेष क्षेत्र का विकास करना है. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे मामले की विस्तार से जांच करने की जरूरत है और राज्य सरकार, किसानों, संघों और उनकी समितियों द्वारा दायर याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 31 जनवरी की तारीख निर्धारित की है.


2020 में तीन राजधानी बनाने के लिए किया गया था कानून पारित 


गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने राजधानी के विकेंद्रीकरण और साल 2020 तक राज्य के सभी इलाकों के समग्र विकास के लिए कानून पारित किया था. इस कानून के तहत आंध्र प्रदेश की तीन राजधानी बनाने की बात कही गई थी. कानून पारित करते हुए कहा गया था कि आंध्र प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होगा. जहां तीन राजधानियां होंगी. कार्यपालिका यानी सरकार विशाखापत्तनम से काम करेगी. राज्य विधानसभा अमरावती में होगी और हाई कोर्ट कुर्नूल में होगा. 


हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला 


राज्य सरकार द्वारा तीन राजधानियों के प्रस्तावित गठन को अमरावती के किसानों ने चुनौती दी थी. किसानों ने दावा किया कि सरकार ने नई पूंजी विकसित करने का वादा करते हुए लैंड पूलिंग स्कीम (एलपीएस) के तहत अपनी जमीन देने के लिए उनके साथ समझौता किया था. मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने माना था कि राज्य विधायिका के पास राज्य की राजधानी पर कोई कानून बनाने की क्षमता नहीं है और राज्य सरकार को वर्तमान राजधानी अमरावती से किसी भी कार्यालय को स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया है. 


इसके बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने अमरावती को राज्य की एकमात्र राजधानी घोषित करने वाले हाईकोर्ट के तीन मार्च के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. तीन राजधानियों की अपनी योजना को पुनर्जीवित करने के उद्देश से राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 


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