Gyanvapi Masjid: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के एक पुराने मंदिर होने का दावा किया गया है. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट का हवाला देकर ये बातें कही जा रही हैं. हिंदू पक्ष ने 32 सबूतों को आधार बनाकर तर्क दिए हैं, जिनके आधार पर उसका कहना है कि वाराणसी में स्थित इस मस्जिद की जगह कभी एक विशाल हिंदू मंदिर हुआ करता था. रिपोर्ट के आधार पर किए जा रहे दावों का काफी असर देखने को मिलने वाला है. 


हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार (25 जनवरी) को कहा कि एएसआई रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद रहे एक पुराने मंदिर के अवशेष पर बनाई गई है. जैन ने बताया कि एएसआई की रिपोर्ट 839 पन्नों की है. सर्वे रिपोर्ट की कॉपियां अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को सौंप दी है. ऐसे में आइए कुछ दावों को समझने की कोशिश करते हैं, जिनके आधार पर हिंदू पक्ष की तरफ से मस्जिद के मंदिर होने की बात कही गई है.



  • रिपोर्ट का हवाला देकर हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर उसके अवशेषों पर बनाई गई. इस मंदिर को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल में ध्वस्त किया गया. 

  • हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि यहां मंदिर मौजूद था, जिस पर मस्जिद बनाई गई है. मंदिर के अस्तित्व को लेकर पर्याप्त सबूत एएसआई की टीम को मिला है. 

  • रिपोर्ट का हवाला देकर विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि एएसआई जब सर्वे कर रही थी, तो उस वक्त मस्जिद के दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष मिले. 

  • एएसआई रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था.

  • विष्णु शंकर जैन का कहना है कि मंदिर को तोड़ने का आदेश और तारीख पत्थर पर फारसी भाषा में अंकित है. उन्होंने कहा कि ‘महामुक्ति’ लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है.

  • हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार एक मंदिर की दीवार है. उस दीवार पर एएसआई टीम को घण्टा, वल्लरी (लताओं का उकेरा गया चित्र) और स्वास्तिक का चिह्न मिले हैं. 

  • रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि दीवार पर पत्थरों पर उकेरा गया ब्रह्म कमल का तोरण द्वार बना हुआ है. ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने की छत जिन खम्भों पर टिकी है वे सब नागर शैली के मंदिर के स्तंभ हैं. 

  • विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि सारे सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के जरिए आदि विशेश्वर मंदिर को तोड़ा गया. उस समय यहां विशाल मंदिर मौजूद था. 


एएसआई की सर्वे रिपोर्ट हासिल करने के लिए हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने अदालत में आवेदन किया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं का दावा है कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण यहां पहले से मौजूद रहे मंदिर के ऊपर किया गया. इसके बाद ही अदालत की तरफ से सर्वे का निर्देश मिला. पिछले साल 18 दिसंबर को एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपा थी. 


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