गांधीनगर: गुजरात में सरकार गठन के बाद मनपसंद मंत्रालय न मिलने से नाराज नितिन पटेल पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. डिप्टी सीएम नितिन पटेल की नाराजगी के बाद जहां हार्दिक उन्हें बीजेपी से नाता तोड़ने की नसीहत दे रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस के एक विधायक ने उनसे बीजेपी के पाटीदार विधायकों के साथ गुजरात की गद्दी संभालने का खुला ऑफर दिया है.


नितिन पटेल को बाहर से समर्थन करेगी कांग्रेस- विरजी ठुम्मर

कांग्रेस विधायक विरजी ठुम्मर ने कहा है, ‘’नितिन भाई पटेल पाटीदार समुदाय से हैं, इसीलिए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लटकाकर रखा है. ऐसे वक्त में मैं नितिन भाई से गुजारिश करता हूं कि 10-15 पाटीदार समुदाय के विधायक या अपने समर्थक विधायकों को लेकर सरकार बनाएं, कांग्रेस उन्हें बाहर से समर्थन करेगी.’’

इससे पहले चुनाव में बीजेपी के विरोध का बिगुल फूंकने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी नितिन पटेल को बीजेपी छोड़ने की नसीहत दी थी. हालांकि इन लुभावने प्रस्तावों को नितिन पटेल महज कोरी बयानबाजी बता रहे हैं. न्होंने आलाकमान के सामने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है और वो इसे पद से ज्यादा सम्मान की लड़ाई बता रहे हैं.

सरदार पटेल ग्रुप ने सोमवार को मेहसाणा बंद बुलाया

उधर, नितिन पटेल की नाराजगी को लेकर पाटीदार समुदाय आंदोलन की तैयारी में जुट गया है. विरोध के तौर पर सरदार पटेल ग्रुप ने सोमवार को मेहसाणा बंद बुलाया है. गुजरात में मची इस खींचतान पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं. बीजेपी को अहसास है कि नितिन पटेल की नाराजगी सूबे की सियासत में नुकसानदायक हो सकती है.

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वहीं, पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल ने नितिन पटेल को पार्टी का निर्णय स्वीकार करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है, ‘’अगर नितिन भाई को लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी से बात करनी चाहिए. वो सीनियर नेता हैं. उनको पार्टी का निर्णय स्वीकार करना चाहिए.’’

कहां से शुरु हुआ विवाद?

बताया जा रहा है कि पूरा विवाद वित्त और शहरी मंत्रालय को लेकर है. फिलहाल वित्त मंत्रालय सौरभ पटेल जबकि शहरी विकास मंत्रालय खुद सीएम के पास है. जबकि पिछली सरकार में वित्त और शहरी विभाग नितिन पटेल के ही पास था. इस बार उन्हें स्वास्थ्य, रोड, चिकित्सा शिक्षा समेत छह मंत्रालय दिए गए हैं.

नितिन पटेल की इसी मांग ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है. हाल में हुए गुजरात चुनाव में बीजेपी का पारंपरिक पाटीदार वोटर पार्टी से दूर चला गया था और अब अगर नितिन पटेल की नाराजगी बनी रहती है तो 2019 के चुनाव में पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है.