नई दिल्ली: अतिरिक्त संसाधनों को जुटाने के लिए ऐसेट्स को बेचने की प्रकिया को आगे बढ़ाते हुए सरकार नागरिक उड्डयन मंत्रालय परिसंपत्तियों की बिक्री के माध्यम से 2021-22 में 20,000 करोड़ रुपये जुटाने की कवायद में जुट गई है. सरकार एयरपोर्ट्स अथॉरिटी (एएआई) द्वारा रखी गई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों की शेष इक्विटी को भी बेचना चाहती है.


8 फरवरी को एसेट मोनेटाइजेशन (CGAM) के लिए आयोजित कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज की बैठक में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 13 हवाई अड्डों की पहचान की है, जिन्हें OMDA (ऑपरेशन, मैनेजमेंट, डेवलपमेंट एग्रीमेंट) के माध्यम से विमुद्रीकृत किया जाएगा. इसके लिए एक सलाहकार भी नियुक्त किया गया है.


एक बार अनुमोदन मिलने के बाद सरकार द्वारा इन चार प्रमुख हवाईअड्डों में एएआई की शेष हिस्सेदारी बेचने की संभावना है. वर्तमान में एएआई के पास दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों में 26 प्रतिशत, हैदराबाद में 13 प्रतिशत और बेंगलुरु में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है. दिल्ली हवाई अड्डे में जीएमआर समूह की 54 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि मुंबई हवाई अड्डे में अदानी समूह की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इन चार हवाई अड्डों के अलावा एएआई की नागपुर में 49 प्रतिशत, कन्नूर में 7.47 प्रतिशत और चंडीगढ़ में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है.


2021-22 में निजीकरण से 2.5 लाख करोड़ रुपए प्राप्त करने का लक्ष्य 


पिछले साल, सरकार ने छह हवाई अड्डों अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलौर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम का निजीकरण किया था और एएआई बोर्ड ने पीपीपी के माध्यम से संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए कम से कम छह और पट्टे देने को मंजूरी दी थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में 2021-22 के लिए बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार की योजना एएआई के स्वामित्व वाले हवाईअड्डों को टियर-2 और टियर-3 शहरों में निजीकरण करने की है. बजट के कुछ समय बाद, नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खारोला ने कहा था कि सरकार ने 2021-22 में परिसंपत्तियों के निजीकरण के माध्यम से लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें आठ मंत्रालयों की विभिन्न परिसंपत्तियां शामिल हैं.


सूत्रों ने पुष्टि की कि निजीकरण के माध्यम से रेल मंत्रालय से वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 90 हजार करोड़ रुपए, दूरसंचार विभाग से 40 हजार करोड़ रुपए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से 30 हजार करोड़ रुपए और बिजली मंत्रालय से 27 हजार करोड़ रुपए प्राप्त करने का लक्ष्य है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय और युवा मामले और खेल मंत्रालय ने 20-20 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है.


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