Global Counter Terrorism Council Meet: ग्लोबल काउंटर टेरेरिज्म काउंसिल (GCTC) के सालाना सम्मेलन के दौरान वैश्विक आतंकवाद के साथ साथ अमेरिका और चीन की नीतियों को लेकर भी चर्चा की गई. भारतीय सेना की आर्मी ट्रेनिंग कमान (आरट्रैक) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (Lt General Raj Shukla) ने कहा कि अमेरिका जब ईराक और अफगानिस्तान में आतंकियों से लड़ रहा था, तब चीन की सेना पारंपरिक-वॉरफेयर में महारत हासिल कर रही थी. थिंकटैंक, ग्लोबल काउंटर टेरेरिज्म काउंसिल (GCTC) के सालाना सम्मेलन सोमवार रात को वर्चुअल तरीके से हुई. इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में भारतीय सेना की आर्मी ट्रेनिंग कमान (आरट्रैक) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला सीआईए के पूर्व चीफ, जनरल डेविड पैट्रियस (रिटायर) के साथ संवाद कर रहे थे. उसी दौरान लेफ्टिनेंट शुक्ला ने कहा कि चीन ने पारंपरिक युद्धशैली में अपने आप को बेहद मजबूत किया है.


ग्लोबल काउंटर टेरेरिज्म काउंसिल सम्मेलन


सम्मेलन के दौरान लेफ्टिनेंट राज शुक्ला (Lt General Raj Shukla) ने जनरल पैट्रियस से पूछा कि क्या अफगानि‌स्तान (Afghanistan) से अमेरिका के जाने के बाद उसकी जगह पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन ले लेगा. इस सवाल के जवाब में पैट्रियस ने कहा कि चीन काफी लंबे समय से अफगानिस्तान में निवेश कर रहा है. लेकिन अफगानिस्तान को लेकर चीन बेहद सावधानी बरत रहा है. भारत के मिलिट्री कमांडर के इस सवाल पर कि चीन वैश्विक स्तर पर कब 'मिलिट्री बर्डन' यानि दू‌सरे देशों के मामलों पर अपनी सेना कब भेजना शुरू करेगा, जनरल पैट्रियस ने जवाब दिया कि पिछले 40 साल में चीन ने अभूतपूर्व विकास किया है. चीनी सेना संयुक्तराष्ट्र के शांति मिशन ( UN Peacekeeping Mission) में भी हिस्सा ले रही है और पाकिस्तान और जिबूती जैसे देशों में अपने बंदरगाह और मिलिट्री बेस भी स्थापित कर रही है.


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परमाणु बम कभी भी आतंकियों के हाथ लग सकता है- पैट्रियस


सम्मेलन के दौरान जनरल पैट्रियस ने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक आतंकवाद (Global Terrorism) के खिलाफ लड़ाई एक हद तक सफल तो जरूर रही है लेकिन ये कभी ना खत्म होने वाली लड़ाई है. उन्होनें कहा कि आतंकियों के हाथ में कब डर्टी-बम (परमाणु बम) लग जाए कोई नहीं जानता है. पैट्रियस ने कहा कि यूक्रेन और रूस की सीमा पर जिस तरह सेनाओं का एक बड़ा जमावड़ा हो रहा है. उससे साफ है कि जितना बड़ा खतरा ग्लोबल टेरेरिज्म है उतना ही पारंपरिक युद्ध भी है. लेफ्टिनेंट जनरल शुक्ला के मुताबिक, दुनियाभर में जिस तरह अलकायदा, आईएसआईएस, जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कारवाई हुई है उससे फिर वे कभी खलीफा-सिस्टम या फिर किसी देश में सीरिया और ईराक जैसे देशों के एक बड़े भूभाग पर कब्जा नहीं कर पाएंगे. ऐसे में 'वॉर ऑन टेरर' एक हद तक सफल रही है.


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