लदाख में आज कल हर तरफ सुनहरे  फलो से लदे हुए पेड़ नज़र आ रहे है. खास तौर पर कारगिल और द्रास में. जहां लदाख की 90% खुबानी उगती है. अगस्त महीने की शुरुआत से ही लद्दाख का कैश क्रॉप मानी जाने वाली खुबानी तैयार होने लगती है और इस समय हर कोई खुबानी हार्वेस्टिंग में लगा हुआ है.


लेकिन खास बात ये है कि इस साल पहली बार लद्दाख की ताज़ा खुबानी को देश विदेश के मार्किट में  पहुंचाने के प्रयासों में सफलता मिली है. इस बार यह फल मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद और दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में पहुंच गया है. जबकि पिछले 35 सालो में पहली बार लदाख से ताज़े खुबानी का एक्सपोर्ट शुरू हुआ है और 150 किलोग्राम की पहली खेप दुबई के बाज़ार के लिए रवाना हो चुकी है.


1986 में लद्दाख क खुबानी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था


बता दे कि 1986 में लद्दाख की खुबानी कोडिंग मोथ नाम की बीमारी से ग्रस्त हो गई थी. बाद में इस बीमारी के बाकी जगह फैलने का हवाला देते हुए  लदाख से ताज़ा खूबानी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. तब से हर संभव मंच पर इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन  समस्या का समाधान खोजने के बजाय, तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस पर प्रतिबंध जारी रखा.


30 अगस्त 2021 को दुबई के लिए लद्दाखी खुबानी की पहली खेप भेजी गई


5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया और इसके साथ ही इलाके के विकास के लिए केंद्र सरकार ने बदलाव करना शुरू कर दिए. इस बदलाव की शुरुआत में कारगिल में 30 अगस्त 2021 को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दिन स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद कारगिल के सीईओ फिरोज अहमद खान ने "दुबई के लिए ताज़ा लद्दाखी खुबानी के पहले खेप को  फ्लैग-ऑफ किया था. यह लदाख से देश के साथ साथ  अंतर्राष्ट्रीय निर्यात" की पहली खेप थी. इससे पहले सिर्फ सूखी खूबानी को कारगिल से देश और विदेश भेजा जाता था लेकिन इस से किसानों को कम फायदा मिलता था.


खुबानी कारगिल के किसानों की प्राथमिक नकदी फसल है
बता दें कि खुबानी कारगिल के किसानों के लिए प्राथमिक नकदी फसल है और इस वर्ष को छोड़कर लद्दाख से कभी भी निर्यात नहीं किया गया था. कृषक एग्रीटेक, एक किसान केंद्रित संगठन है, जो हिमालयी राज्यों में किसानों के साथ काम कर रहा है, इसी ने ताजा लद्दाखी खुबानी के निर्यात और बाजार के लिए रास्ता खोजने के लिए यह विशेष कार्य किया. कृषक एग्रीटेक के प्नरमुख वीन गहलावत के अनुसार यह आयोजन कारगिल के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि अब कृषक एग्रीटेक ने दुबई से 150 किलोग्राम के अपने पहले ऑर्डर के साथ न केवल भारतीय बाजार बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी एंट्री कर ली है.


नवीन गहलावत की संस्था ने अब तक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 200 से अधिक किसानों से खरीदे गए 20 मीट्रिक टन ताजा खुबानी का निर्यात किया है, जिसका मूल्य 30 लाख रुपये है, यह लद्दाख में खुबानी की फसल का केवल 1 प्रतिशत है. नवीन गहलावत का इस पर कहना है कि, "अभी हम सिर्फ 1 प्रतिशत निर्यात कर रहे है और इस को हम अगर 40% तक ले जा सके तो लद्दाख के किसानों का जीवन बदल जाएगा."


प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से 50%  खुबानी की फसल खराब हो रही थी


बता दें कि कारगिल में हर साल 15 हज़ार मीट्रिक टन और लेह में 5 हज़ार मीट्रिक टन खुबानी की पैदावार होती है. प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से 50% फसल खराब हो रही थी. इसी लिए पिछले 7 सालो से यहां पर खुबानी को बचाने के लिए "सोलर ड्रायर" और जैम एंड जेली यूनिट भी शुरू किये गए, लेकिन इसके बावजूद भी ताज़ा खुबानी कि फसल को नुकसान उठाना पड़ रहा था.


कारगिल के साबू गांव के रहने वाले किसान अब्बास काटजू के अनुसार  स्थानीय उद्यमियों के लिए खुबानी की मूल्य श्रृंखला में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त करते हुए, यह पहल यह भी सुनिश्चित करेगी कि कारगिल के किसान लाभान्वित हों और अपनी फसल के मूल्य को तुरंत प्राप्त कर सकें.


खुबानी के निर्यात से लद्दाख के किसानों को होगा फायदा


गौरतलब है कि खुबानी को हाल ही में भारत सरकार के ओडीओसी कार्यक्रम के तहत कारगिल के लिए प्राथमिक फसल के रूप में पहचान मिली है. केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपनी पूरी क्षमता के साथ योगदान करने के लिए कारगिल/लद्दाख के लिए खुबानी का निर्यात एक रणनीतिक प्राथमिकता है.  इस से आने वाले दिनों में अब लद्दाख के किसानों का जीवन और लद्दाख का भविष्य भी सुनहरा हो जाएगा.


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