नई दिल्ली: किसानों के समर्थन में अब कांग्रेस खुल कर मोदी सरकार के ख़िलाफ़ आ गई है. पार्टी की तरफ़ से राहुल और प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला है. राहुल इसी हफ़्ते राजस्थान में किसान पंचायत लगा रहे हैं. लेकिन उससे पहले बहन प्रियंका ने यूपी में किसानों के लिए डंका बजाने की तैयारी की है. जहां अगले साल की शुरूआत में विधानसभा के चुनाव हैं. उधर आरएलडी नेता जयंत चौधरी भी जगह जगह किसान चौपाल लगा रहे हैं.

प्रियंका ने पश्चिमी यूपी के किसानों के बीच जाकर राजनैतिक थाह लेने की तैयारी की है. किसानों के आंदोलन के बहाने प्रियंका इस इलाक़े में कांग्रेस के लिए संभावनाएं तलाश रही हैं. 10 फ़रवरी को वे सहारनपुर जा रही हैं. पहले वे शाकुंभरी मंदिर जायेंगी. माता के दर्शन और पूजा पाठ करेंगी. इस इलाक़े में इस मंदिर का बड़ा मान सम्मान है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान की शुरूआत यहीं से की थी. मंदिर में पूजन के बाद प्रियंका सहारनपुर में किसान पंचायत लगायेंगी.

सहारनपुर को ख़ास रणनीति के तहत किसान पंचायत की शुरूआत के लिए चुना गया है. यहां पार्टी के पास इमरान मसूद जैसे ताकतवर नेता हैं. जो राहुल और प्रियंका के करीबी माने जाते हैं. आपको याद होगा पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती और अखिलेश यादव साथ साथ थे. तब भी चुनाव प्रचार की शुरूआत सहारनपुर से ही हुई थी. यहां मुसलमानों के साथ साथ शहरी इलाक़ों में सिख समाज की भी अच्छी आबादी है.

प्रियंका गांधी का इरादा पश्चिमी यूपी में राजनैतिक माहौल भांपने की है. आख़िर हवा किधर है ? किसान पंचायत तो बहाना है. पश्चिमी यूपी के किसान ही आंदोलन पर हैं. राज्य के पाती हिस्सों में इसका कोई असर नहीं है. सहारनपुर के बाद प्रियंका 13 को मेरठ, 16 को बिजनौर, 19 को मथुरा और 20 को अलीगढ़ भी जा सकती हैं. इससे पहले वे नवरीत के घर मथुरा भी गई थीं. जिनका निधन दिल्ली में ट्रैक्टर पलटने से हो गया था. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी.

प्रियंका इस बार राहुल वाली गलती यूपी मे नहीं दुहराना चाहती हैं. राहुल पर आरोप लगते रहे हैं कि वे किसी भी अभियान को पूरा नहीं कर पाते हैं. बस दो दिनों तक दौरा करने के बाद वे बीच में ही मुहिम छोड देते हैं. कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका ये मैसेज देना चाहती हैं कि वे जनता के पांच हमेशा बनी रहेंगी. उन पर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. यूपी में कांग्रेस को मज़बूत करने की. इस कांग्रेस को जो यहां लगभग फ़िनिश हो चुकी है. पिछले 30-32 सालों से पार्टी राज्य में सत्ता से बाहर है. पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपनी परंपरागत अमेठी सीट तक नहीं बचा पाए थे.

बात राहुल गांधी की है. तो ज़रा किसान पंचायत को लेकर उनकी योजना को भी समझ लें. बहन प्रियंका की तरह ही वे भी राजस्थान में कई किसान पंचायत लगाने वाले हैं. 12 फ़रवरी को वे हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जायेंगे.

जबकि अगले दिन उनकी तैयारी किशनगढ़, अजमेर, नागौर और मकराना जाने की है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. राहुल से पहले उनके करीबी सचिन पायलट भी दौसा में किसान पंचायत लगा चुके हैं. कॉंग्रेस को लगता है कि किसानों के बहाने ही शायद कुछ जगहों पर पार्टी के अच्छे दिन लौट आयें.

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