Haryana Kurukshetra Farmers Protest: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे (Delhi Chandigarh Highway) जाम करके धरने पर बैठे किसानों की मांगें सरकार ने मान ली हैं. किसानों ने मंगलवार (13 जून) को कहा, "आज हमारी मांग को सरकार ने मान लिया है. सभी साथी और मीडिया वालों का धन्यवाद. आज साबित हुआ कि एकता में बल है. ये फाइनल जीत नहीं है. फाइनल जीत तभी होगी जब सरकार पूरे देश में एमएसपी (MSP) की मांग को मान लेगी." 


संयुक्त प्रेस वार्ता में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हम अपना विरोध खत्म कर रहे हैं. बंद रास्ते आज खोल दिए जाएंगे. हम इसलिए विरोध कर रहे थे कि हमारी फसल एमएसपी पर खरीदी जाए. हम देशभर में एमएसपी के लिए लड़ते रहेंगे. हमारे नेताओं को भी जल्द रिहा किया जाएगा. हमारे नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे." उन्होंने कहा, "हमने एक हफ्ते तक संघर्ष किया है और आज आप सबके सहयोग से हमारी मांग को सरकार ने मान लिया है. हम किसी को झुकाते नहीं है, जो हमारा हक है वो हमने मांगा है." 


क्या बोले राकेश टिकैत?


राकेश टिकैत ने आगे कहा, "हमारे ऊपर प्रेशर था, किसान आंदोलन को लेकर कई ट्विटर अकाउंट बंद किए हैं. पूरे देश की प्रॉपर्टी एक ही आदमी को बेची जा रही हैं. हमारा चुनाव से कोई सम्बन्ध नहीं है, हम चुनाव नहीं लड़ेंगे." वहीं किसान नेता करम सिंह मथाना ने कहा, "एमएसपी का प्रमुख मुद्दा अभी भी हल नहीं हुआ है, लेकिन सरकार के साथ हमारी बैठक सफल रही. हमने एक हफ्ते तक संघर्ष किया है और आज आप सबके सहयोग से हमारी मांग को सरकार ने मान लिया है." 


"हरियाणा सरकार किसानों के साथ खड़ी है"


कुरुक्षेत्र के डीसी शांतनु शर्मा ने कहा, "हरियाणा सरकार हमेशा किसानों के समर्थन में खड़ी रही है. सीएम ने सूरजमुखी की फसल के लिए एमएसपी बढ़ाने पर सहमति जताई है." कुरुक्षेत्र के एसपी सुरिंदर सिंह भोरिया ने कहा, "हमने किसानों से इस विरोध को रोकने की अपील की है. हरियाणा सरकार और पुलिस किसानों के साथ खड़ी है. हमें उम्मीद है कि विरोध जल्द खत्म होगा." 


कुरुक्षेत्र में धरने पर बैठे थे किसान


किसान सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहे थे. जिसको लेकर उन्होंने सोमवार दोपहर बाद से कुरुक्षेत्र में पिपली के पास राजमार्ग (एनएच-44) को जाम कर दिया है. ये राजमार्ग दिल्ली को चंडीगढ़ और कुछ अन्य मार्ग से जोड़ता है. इससे पहले सोमवार रात से लेकर मंगलवार तक किसानों और जिला प्रशासन के बीच कई दौर की वार्ता हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया था. 


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