असम-मिज़ोरम के बीच हुई हिंसा पर असम के प्रभारी महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह द्वारा गठित 7 सदसिय समिति पर विवाद हो गया है. मिज़ोरम के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता लालथनाहवला ने ABP News से Exclusive बात करते हुए कहा कि कोई भी समिति अगर दो पक्षों या दो राज्यों के बीच विवाद पर बनाई गई तो उसमें दोनों राज्यों से बराबर यानी आधे-आधे सदस्य होने चाहिए थे, सिर्फ एक पक्ष के नहीं.


समिति में केवल असम कांग्रेस के ही सदस्य शामिल किए गए


आपको बता दें कि असम-मिज़ोरम सीमा पर दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प के दिन हीं असम के प्रभारी महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह ने 7 सदसिय समिति बना दी थी जिसमें सभी सदस्य केवल असम कांग्रेस के ही शामिल किए गए थे. इस समिति को प्रभावित इलाकों का दौरा कर पार्टी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी. गौरतलब है कि लालथनाहवला मिज़ोरम के सबसे ज़्यादा बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.


मिज़ोरम के पूर्व मुख्यमंत्री ने जताया एतराज


झड़प पर बनी समिति में असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा, विधायक दल के नेता देवब्रता साइकिया, सांसद प्रद्योत बोर्दोलोई, विधायक दल के उप नेता रौकिबुल हुसैन, सांसद गौरव गोगोई, महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुषमिता देब और विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कमालख्या डे पुरक्यास्था को शामिल किया गया था. इसी समिति को लेकर अब विवाद हो गया है और मिज़ोरम के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता इस पर एतराज़ जताया है.


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