Shashi Tharoor Achievement Despite Losing: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे से मुकाबला हारने के बाद भी शशि थरूर के पास जश्न मनाने की वजह है. वह पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज नहीं हो सके, वह अलग बात है लेकिन देखा जाए तो इस चुनाव ने उन्हें फायदा ही पहुंचाया है. इस चुनाव ने आने वाले वर्षों में कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए थरूर को कारण दे दिया है.   


गांधी परिवार ने चुनाव में कोई आधिकारिक उम्मीदवार तो नहीं उतारा था लेकिन माना जाता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रति उसका झुकाव था. अशोक गहलोत समेत कई बड़े नेताओं ने खड़गे का खुलकर समर्थन किया था. वहीं, अध्यक्ष बनने की सूरत में महत्वपूर्ण संगठनात्मक बदलाव लाने की बात कहते रहे थरूर ने आम कार्यकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा. इसे लेकर वह दावा भी करते रहे. राजनीतिक विशेषज्ञ पहले से खड़गे की जीत तय मान रहे थे और वही हुआ. 


हारकर भी थरूर के नाम जुड़ गई उपलब्धि


बुधवार (19 अक्टूबर) को सामने आए कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नतीजे में खड़गे ने थरूर को भारी मतों के अंतर से हराया. खड़गे को 7,897 वोट मिले तो थरूर के हिस्से में केवल 1,072 वोट ही आए. इन वोटों ने थरूर की हार तो घोषित की, साथ ही कांग्रेस के पिछले 25 साल के पार्टी चुनाव के इतिहास में एक उपलब्धि उनके नाम दर्ज कर दी. 


दरअसल, चुनाव में कुल 9,385 वोट पड़े, जिनमें 8,969 वोट वैध माने गए. थरूर के हिस्से आए 1,072 मतों के हिसाब से उन्हें कुल वोटों के 11.95 फीसदी मत हासिल हुए. पच्चीस वर्ष के इतिहास में पार्टी के शीर्ष पद के लिए किसी हारे हुए उम्मीदवार का यह सबसे अच्छा वोट प्रतिशत है. इस अवधि में पहली बार किसी हारे हुए उम्मीदवार को खाते में इतने ज्यादा वोट आए हैं.


22 साल पहले के चुनाव का नतीजा


कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पिछला चुनाव 22 साल पहले हुआ था. सोनिया गांधी को उत्तर प्रदेश के जितेंद्र प्रसाद ने चुनौती दी थी. चुनाव के नतीजे लगभग सर्वसम्मिति में बदल गए थे. दरअसल, डाले गए कुल 7,542 वैध वोटों में से जितेंद्र प्रसाद को सौ वोट से भी कम मिले थे. उन्हें एक फीसदी से कुछ ज्यादा मत हासिल हुए थे. सोनिया गांधी को 7,448 वोट मिले थे. चुनाव में कुल 7,771 वोट डाले गए थे लेकिन 229 वोट अवैध माने गए थे. तब सोनिया गांधी दो साल के लिए इस पद पर काबिज हुई थीं.


1997 में थे कांग्रेस अध्यक्ष पद के तीन उम्मीदवार


सोनिया गांधी के आने से पहले कांग्रेस को सीताराम केसरी संभाल रहे थे. 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में तब कांग्रेस में रहे महाराष्ट्र के शरद पवार, राजस्थान के दिवंगत नेता राजेश पायलट और सीताराम केसरी उम्मीदवार थे.  कुल 7,460 वैध मतों में शरद पवार को 888, राजेश पायलट को 354 और सीताराम केसरी को 6,224 वोट मिले थे. सीताराम केसरी जबरदस्त जीत के साथ कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए थे.


आखिर थरूर के पास जश्न मनाने की वजह!


चुनाव में मत प्रतिशत के हिसाब से शरद पवार के खाते में 11.9 फीसदी मत आए थे. वहीं, राजेश पायलट को एक फीसदी से भी कम वोट मिले थे. इन चुनावों से तुलना की जाए तो पार्टी के शीर्ष पद के तीन चुनावों में हारे हुए उम्मीदवारों में शशि थरूर का प्रदर्शन सबसे अच्छा है.


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