Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद शुरू हुआ सियासी संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है. कांग्रेस ने तीन पर्यवेक्षकों को भेजकर भले ही सरकार बचाने और सबकुछ ठीक होने का दावा किया हो, लेकिन बीजेपी बीजेपी सूत्रों के मुताबिक विवाद अब भी बना हुआ है और कांग्रेस के कई अन्य विधायक आने वाले दिनों में बगावत कर सकते हैं. फिलहाल बीजेपी की नजर इस बात पर है कि विक्रमादित्य के साथ कितने विधायक फिलहाल अभी खुलकर सामने आते हैं या विक्रमादित्य कितने विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे हैं. 


सूत्रों का कहना है कि बीजेपी कहीं से भी यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह चुनी हुई सरकार को अस्थिर कर रही है, वह जनता के बीच यही बताना चाह रही है कि कांग्रेस की ये अंदरूनी कलह है. ऐसे में सरकार गिरती है तो उसके लिए जिम्मेदार भाजपा नहीं, बल्जिकि कांग्रेस का आला नेतृत्व ही होगा जो अपने वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों की बातों को तवज्जो नहीं देता है और उनकी अनदेखी करता रहा है.


पार्टी ने दावा किया पांच साल चलेगी सरकार


वहीं इन अटकलों के बीच कांग्रेस प्रदेश में सबकुछ ठीक होने का दावा कर रही है. बताया जा रहा है कि विक्रमादित्य के इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया. इसके बाद सीएम सुक्खू ने विक्रमादित्य सिंह को अपना छोटा भाई बताया. उन्होंने गुरुवार (29 फरवरी) को बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हमारे जनादेश को न चुराए और हमें हमारा काम करने दे. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेतृत्व ने सियासी संकट के बीच पर्यवेक्षक के रूप में डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा था, जिन्होंने सभी विधायकों और सीएम से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, जिसमें दावा किया गया कि कांग्रेस की सरकार पांच साल चलेगी और सबकुछ ठीक है.