Eid Namaz In Idgah: सामूहिक ईद की नमाज पर बीजेपी नियंत्रित जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच खींचतान ने कश्मीर घाटी में भ्रम और तनाव पैदा कर दिया है. जबकि वक्फ ने साफ तौर पर प्रार्थनाओं की घोषणा की है और स्थानीय इंतजामिया ने प्रार्थनाओं के कार्यक्रम का एलान किया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इस कदम को हरी झंडी दिखाई है. शव्वाल का चांद दिखने के आधार पर 21 या 22 अप्रैल को ईद-उल-फितर मनाई जाएगी.


दरअसल विवाद पिछले मंगलवार को तब शुरू हुआ जब वक्फ अध्यक्ष और बीजेपी नेता डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने घोषणा की कि इस साल धारा 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार ऐतिहासिक ईदगाह में सामूहिक ईद की नमाज अदा की जाएगी. सामूहिक ईद की नमाज की तैयारियों की समीक्षा करने के बाद ईदगाह में पत्रकारों से बात करते हुए, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि अगर मौसम ने साथ दिया, तो नमाज अदा की जाएगी. इस साल ईद की नमाज ईदगाह में अदा की जाएगी. कश्मीर में अब अच्छा माहौल है और प्रशासन की कोशिश है कि ईद की नमाज ईदगाह पर ही हो.


ईदगाह में ईद की नमाज के पक्ष में नहीं पुलिस


वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस बड़े पैमाने पर विरोध और हिंसा के पिछले रिकॉर्ड का हवाला देते हुए ईदगाह मैदान में सामूहिक ईद की नमाज के पक्ष में नहीं है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने यह स्वीकार करते हुए कहा कि सुरक्षा परिदृश्य में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ है और श्रीनगर शांतिपूर्ण है, हालांकि यह कहते हुए ईद की नमाज को झंडी दिखा दी कि अंतिम निर्णय जिला प्रशासन लेगा. बता दें कि वक्फ बोर्ड ने पहले ही उचित सुविधाओं के साथ ईदगाह मैदान के पुनर्विकास पर काम शुरू कर दिया है.


जमीन वर्तमान में जल निकासी, अतिक्रमण, प्रकाश व्यवस्था और अन्य संबद्ध समस्याओं जैसे कई मुद्दों का सामना कर रही है. वक्फ बोर्ड की अतिक्रमित भूमि की पहचान के लिए एक उचित सीमांकन किया जाएगा. ईदगाह की सभी उपयोगिताओं को बहाल करने के लिए ईदगाह की रोशनी, जल निकासी और सौंदर्यीकरण के संबंध में कुछ काम शुरू किए जाएंगे.


'हम ईदगाह में नमाज की अनुमति नहीं दे सकते'


हालांकि नमाज की संभावना बेहद कम नजर आ रही है क्योंकि शीर्ष पुलिस अधिकारी ने सोनमर्ग में एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि जहां तक क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति का सवाल है तो अधिकारी कोई जोखिम नहीं उठाएंगे और ईदगाह पर भारी भीड़ के कारण खतरा पैदा हो सकता है. पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हम ईदगाह में नमाज की अनुमति नहीं दे सकते क्योंकि ईद की नमाज के बाद हमेशा विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. जमीन पर शांति सुनिश्चित करने के लिए थोड़ा बहुत त्याग करना ज्यादा नहीं है.'


2019 के बाद से नहीं अनुमति


जुमात-उल-विदा और ईद की नमाज अदा करने वाली अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने अंतिम फैसला लेते हुए कार्यक्रम की घोषणा की है और कहा है कि ईदगाह में 21 या 22 अप्रैल को सुबह 10 बजे ईद की नमाज अदा की जाएगी. इस कदम को वक्फ अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी का भी समर्थन मिला है. गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने के बाद से ईदगाह में ईद की नमाज की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि अधिकारी कानून-व्यवस्था की समस्याओं से आशंकित थे. 2019 से पहले, ईदगाह में नमाज का नेतृत्व मीरवाइज कश्मीर उमर फारूक कर रहे थे, जो वर्तमान में 2019 से अपने श्रीनगर स्थित घर में नजरबंद हैं.


केंद्र प्रशासित प्रदेश के प्रशासन के पिछले चार वर्षों से ऐसे चुनिंदा समारोहों पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर दोनों की अनुमति नहीं लगती है, जो हजारों भक्तों को आकर्षित करते हैं. लेकिन यह पुलिस के लिए चिंता और चिंता का कारण है जो शांति में कोई गड़बड़ी नहीं चाहती है, क्योंकि इस क्षेत्र में भारत विरोधी प्रदर्शनों का इतिहास रहा है. हालांकि जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए लंबे समय से कानून व्यवस्था, पथरबाजी या विरोध प्रदर्शन कोई चुनौती नहीं रही है. 


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