कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर की रफ्तार अब धीमी पड़ चुकी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां शुक्रवार को कोरोना संक्रमण के 165 नए मामले आए तो वहीं देश के दूसरे हिस्सों में भी अब इस महामारी के आंकड़ों में भारी कमी आती हुई दिख रही है. लेकिन, स्वास्थ्य जानकारों की मानें तो कोरोना के आंकड़े कम जरूर हुए हैं, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है.


आशंका अब कोरोना के दूसरे वेव के बाद तीसरी लहर के कहर को लेकर जताई जा रही है. सरकार के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकर आर.के. राघवन ने ऐसा अंदेशा जताया था कि तीसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा कोरोना की चपेट में बच्चे ही आ सकते हैं. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन और एम्स के सर्वे में जो आंकड़े आए हैं, वो जरूर सुकून देने वाले हैं.


बच्चों पर तीसरी लहर का कितना असर?   


नीति आयोग के सदस्स (स्वास्थ्य) डॉक्टर वी.के. पॉल ने स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शुक्रवार को बताया कि डब्ल्यूएचओ-एम्स के सीरो सर्वे के दौरान जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके बाद यह जाहिर होता है कि कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर नहीं होगा. 


पॉल ने बताया कि इस सर्वे के दौरान 18 साल से ऊपर और उससे कम के लोगों के बीच सर्वे में सीरो पॉजिटिविटी दर लगभग बराबर रही. उन्होंने कहा कि 18 साल से ऊपर को लोगों में सीरो पॉजिटिविटी दर 67 फीसदी और 18 से नीचे के लोगों में यह 59 फीसदी थी. शहरी क्षेत्रों में 18 साल से नीचे के लोगों में यह दर 78 फीसदी और 18 साल के ऊपर के लोगों में यह 79 फीसदी पाई गई.


सर्वे में सीरो- पॉजिटिविटी दर लगभग एक समान


जबकि, ग्रामीण इलाकों में सर्वे के दौरान 18 साल से नीचे के लोगों में सीरो पॉजिटिविटी दर 56 फीसदी और 18 साल से ऊपर में 63 फीसदी पाई गई. यह सूचना इस बात को जाहिर करती है कि बच्चे कोरोना संक्रमित हुए लेकिन बहुत हल्का असर हुआ. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के दौरान बच्चों में संक्रमण के कुछ केस आ सकते हैं.


जबकि, स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि यह सही नहीं है कि काफी संख्या में तीसरी लहर के दौरान बच्चे प्रभावित होंगे क्योंकि सीरो-सर्वे सभी आयुवर्ग के लोगों में बराबर है. लेकिन सरकार तैयारी में किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ेगी.


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