UAPA यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो,  NCRB के इक्टठे किए गये डाटा के आधार पर जानकारी दी कि इस कानून के तहत  2019 तक पांच साल में जितने भी लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें से सिर्फ 2% को ही अपराधी ठहराया गया. आतंकवाद के आधार पर गिरफ्तार किए गए 7,840 लोगों में सिर्फ 155 को ट्रायल कोर्ट ने अपराधी ठहराया.


अभी हाल में तीन छात्रों को कोर्ट ने बेल दी


दिल्ली दंगो के दौरान गिरफ्तार किए गए नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल को मंगलवार के दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने बेल दे दी थी. कोर्ट ने कहा कि इन तीनो पर प्रथम दृष्टया UAPA के तहत केस नहीं बनता. इसके एक दिन बाद दिल्ली पुलिस ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया.


 NCRB के डाटा से ये आंकड़े सामने आए


NCRB के मुताबिक दिल्ली में 2015-19 के बीच UAPA के तहत 17 केस दर्ज किए गए. जिनमें 41 संदिग्धों के नाम दिल्ली पुलिस की तरफ से दिए गए थे. दिल्ली पुलिस ने अपने एक बयान में कहा कि 2020 दंगों में 763 एफआईआर दर्ज हुईं जिनमें 51 केस आर्म्स एक्ट के तहत भी शामिल हैं.  इन केसों में 3,300 संदिग्धों को भी शामिल किया गया था. इनमें से कई को दिल्ली हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट से जमानत मिल गई.


इसी साल मार्च में हाईकोर्ट ने लियाकत अली, अरशद कय्यूम उर्फ मोनू, गुलफाम उर्फ वीआईपी और इरशाद अहमद को रिहा करने के आदेश दिए थे. इससे पहले कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर को मानवीय आधार पर जमानत दी थी.


राज्यों के आंकड़े भी इसी तरह के हैं


NCRB की कंपाइलेशन में राज्यों और यूनियन टेरीटेरीज़ में हुए केसों का डाटा शामिल है जिसके मुताबिक UAPA के तहत 2019 में 1,948 लोग गिरफ्तार किए गए थे जिनमें से सिर्फ 34 ही दोषी ठहराए गए.


2019 में मणिपुर में UAPA  के तहत रिकॉर्ड 306 केसों के अंतर्गत 386 लोग गिरफ्तार हुए, जबकि यूपी में 498 संदिग्ध गिरफ्तार हुए और 81 के खिलाफ केस रजिस्टर्ड हुए. इस पर टिप्पणी करते हुए गृह-मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा ” UAPA cases पर सजा का निर्णय वृहद न्यायिक प्रणाली का नतीजा हैं. इस तरह के निर्णयों के कई कारक हैं जिसमें ट्रायल की अवधि, सुबूतों का पेश होना और गवाही शामिल हैं.”


कई बार कानून में हो चुके हैं बदलाव


गैर-कानूनी रोकथाम पर कानून 1967 में बना था जिसे 2008, 2012 और 2019 में अमेंड किया गया. 2008 मुंबई हमले के बाद ‘आतंकी एक्ट’ की सीमा को बढ़ाते हुए इसमें आर्थिक सुरक्षा, भारतीय करंसी के साथ जालसाजी और हथियारों की खरीद को भी शामिल किया गया था. इस कानून के तहत कोर्ट को संपत्ति कुर्की करने की अतिरिक्त शक्ति भी प्रदान की गई.


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