Airlines Advisory: सिविल एविएशन की रेगुलेटरी संस्था डीजीसीए ने एयरक्राफ़्ट के अंदर यात्रियों और एयरलाइंस के लिए एक नई एडवाइज़री जारी की है. पिछले दिनों अलग-अलग एयरलाइंस के विमानों के भीतर सेक्सुअल हरासमेंट, धूम्र पान और शराब पीने जैसे मामले डीजीसीए की जानकारी में आए थे. इन मामलों में पायलट और केबिन क्रू की ओर से भी कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया था.


डीजीसीए के अनुसार इन मामलों से विमान की सुरक्षा को भी ख़तरा हो सकता था. एयरक्राफ़्ट रूल 1937 के अनुसार इस तरह के मामलों को रोकने की ज़िम्मेदारी एयरलाइंस की भी होती है. एयरलाइंस को चाहिए कि वो यात्रियों को इस बात से अवगत कराए कि इस तरह के मामले ग़ैर क़ानूनी हैं और इन मामलों में हवाई जहाज़ के उतरने पर संबंधित व्यक्ति को गिरफ़्तार भी किया जा सकता है.


अगर ऐसा किया तो हो सकती है कार्रवाई



  1. शराब पीना या ड्रग्स लेना

  2. धूम्र पान करना

  3. पायलट की बात न मानना

  4. अराजक व्यवहार करना- a. क्रू मेंबर या अन्य यात्रियों को धमकी या गाली देना b. हाथापाई आदि शारीरिक ग़लत हरकत करना c. क्रू मेंबर के कार्यों में जानबूझ कर हस्तक्षेप करना d. विमान या उसमें मौजूद किसी व्यक्ति की सुरक्षा में बाधक बनना


एयर लाइन इन सब अपराधों को निम्न श्रेणी में परिभाषित कर सकती है-



  1. ख़राब व्यवहार

  2. शारीरिक रूप से ख़राब व्यवहार

  3. दूसरों की जान जोखिम में डालने वाला व्यवहार


इस व्यवहार को ध्यान में रखते हुए एयरलाइन की कमेटी ये तय कर सकती गई कि वो संबंधित व्यक्ति को कितने समय के लिए अपनी एयर लाइन से उड़ान के लिए बैन करे. डीजीसीए ने इस एडवाइज़री में पायलट, क्रू मेम्बर्स और केबिन सेफ़्टी के डाइरेक्टर इन फ़्लाईट सर्विस के दायित्व भी बताए हैं.


सामने आए हैं इस तरह के मामले


डीजीसीए ने कहा कि हाल फिलहाल में विमान में धूम्रपान करने, शराब पीने के कारण अमर्यादित व्यवहार करने, यात्रियों के बीच बहस और कई बार यात्रियों के द्वारा गलत तरीके से छूने या यौन उत्पीड़न जैसी कुछ घटनाएं सामने आयी हैं. इन मामलों में जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी, पायलट और चालक दल के सदस्य आदि उचित कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं.


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