Delhi Mother Daughter Dies: दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक महिला मंजू श्रीवास्तव और उनकी दो बेटियों अंकु और अंशिका की मौत का मामला सामने आया है. मौके से मिले सुसाइड नोट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया पुलिस इसे सामूहिक आत्महत्या का मामला मान रही है. पुलिस व फोरेंसिक विभाग सूत्रों के अनुसार इस घटना में मारे गए लोगों ने खुदकुशी के लिए रौंगटे खड़े करने वाले तरीके को इस्तेमाल किया. घर को एक गैस चैम्बर में तब्दील किया गया, ताकि कार्बन मोनोऑक्साइड पैदा हो और इसी जहरीली गैस की घुटन से तीनों की मौत हो गयी. 


पुलिस का कहना है कि अब तक की जांच में एक बात और सामने आई है वो ये कि इस परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी और ऊपर से ये लोग अकेलेपन का शिकार थे, जिसकी वजह से अवसाद में आकर इन्होंने ये कदम उठाया. डीसीपी साउथ वेस्ट मनोज सी के अनुसार शनिवार रात लगभग 9 बजे पीसीआर कॉल से सूचना मिली कि फ्लैट नम्बर 207 अंदर से बंद है. कोई दरवाजा नहीं खोल रहा है. इसमें एक महिला और उनकी दो बेटियां रहती हैं. पुलिस मौके पर पहुंची और बाहर लगे जाली के दरवाजे को बल पूर्वक खोला. 


दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी पुलिस
इसके बाद अंदर के लकड़ी के दरवाजे को भी तोड़ा गया. अंदर धुआं भरा हुआ था. जब पुलिस अंदर वाले कमरे में पहुंची तो बेड पर मां और दोनों बेटियों के शव पड़े हुए थे. फ्लैट के सभी खिड़की दरवाजे अंदर से बन्द थे. गैस सिलिंडर भी थोड़ा खुला हुआ था. तीन छोटी अंगीठियां भी मिली. माना जा रहा है कि तीनों की मौत दम घुटने से हुई है. सुसाइड नोट भी मिले हैं. मंजू लंबे समय से बीमार चल रही थीं और बिस्तर से हिल डुल नहीं सकतीं थी. इस घर के मालिक, अंशिका और अंकु के पिता उमेश चंद्र श्रीवास्तव की 2021 में कोरोना से मौत हो गयी थी. जिसके बाद से पूरा परिवार डिप्रेशन में था. शुरुआती जांच में मामला सुसाइड का लग रहा है. घर की दीवारों पर सुसाइड नोट भी चिपके मिले हैं. घर के दरवाजे खिड़की फॉयल और टेप से सील बन्द कर दिए गए थे ताकि धुआं जरा भी बाहर न जा सके. रविवार को फोरेंसिक टीम से भी मौका-ए-वारदात का मुआयना कराया गया है. 




दरवाजे पर चिपकाया था वार्निंग नोट 
स्थानीय निवासी व पूर्व निगम पार्षद मनीष अग्रवाल ने बताया कि फ्लैट नंबर 207 में जब बाहर लगा जाली का दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर एक और लकड़ी का दरवाजा था. उसके ऊपर हाथ से लिखा हुआ एक नोट चिपका था, जो अंग्रेजी में लिखा गया था. उसमें लिखा था, वार्निंग अंदर घुसने से पहले सावधान हो जाएं, क्योंकि अंदर गैस चेंबर है. कार्बन मोनोऑक्साइड हो सकती है. जो कोई भी अंदर प्रवेश करें वो न तो लाइटर जलाएं और न ही कोई माचिस या मोमबत्ती. क्योंकि ऐसा करने पर आग भड़क सकती है. अंदर काफी जहरीली गैस है. इसलिए अंदर प्रवेश करने वाला पहले बाहर की तरफ से इस घर के खिड़की और दरवाजे अच्छी तरह से खोल दे. 


सुसाइड नोट में लिखी ये बात
इसके बाद जब पुलिस अंदर दाखिल हुई तो फ्लैट के दूसरे वाले कमरे में मां और दोनों बेटियों के शव पड़े हुए थे. अंदर धुआं भरा हुआ था और दुर्गंध भी आ रही थी. पुलिस को 8 से 10 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें ये लिखा हुआ था कि इनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. पिता की मौत 2021 में कोरोना की वजह से हो गई थी, जिसके बाद से जितनी हो खुद को अकेला महसूस करने लगे थे और डिप्रेशन के शिकार हो चुके थे. मां काफी बीमार थी और अंशिका की बड़ी बहन भी बीमार रहती थी. अंशिका ने सुसाइड नोट लिखा है, ऐसा माना जा रहा है. सुसाइड नोट हिंदी और इंग्लिश दोनों में ही लिखा हुआ है. जिसमें ये भी लिखा गया है कि (इनके घर में काम करने वाली महिला) कमला दीदी दुकान वाले जैन अंकल को कह देना कि उनके पैसे मिल जाएंगे. साथ ही इन लोगों ने सुसाइड नोट में अपने किसी चाचा से भी माफी मांगी और ये भी लिखा है कि ये लोग उनके सामने अपने हालात नहीं रख पाए. हमें माफ कर देना. 


पहले भी की थी सुसाइड की कोशिश
सुसाइड नोट में ये भी लिखा है कि लगभग 1 साल पहले भी इन लोगों ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था, लेकिन खुदकुशी नहीं कर पाए थे. ये लोग नहीं चाहते थे कि इनके किसी कदम से दूसरे को कोई परेशानी हो. यही कारण है कि उन्होंने अपने दूसरे फ्लैट (नंबर 206) से किराएदार को लगभग 5 महीने पहले यहां से चले जाने के लिए कहा था और ये बहाना बनाया था कि किसी रिश्तेदार को आना है, इसलिए फ्लैट खाली कर दिया जाए. मनीष अग्रवाल ने बताया कि उमेश चंद्र श्रीवास्तव जब तक जीवित थे, वही अपनी बेटियों को बाहर लाते ले जाते थे. उनके बगैर उनकी बेटियां कहीं बाहर नहीं जाती थी. यही वजह भी लगती है कि उनकी मौत के बाद ये तीनों खुद को एकदम अकेला महसूस करने लगे. इनके यहां कोई रिश्तेदार भी ज्यादा आते जाते नहीं थे. आंशिका ने ही अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था. 


शुक्रवार रात को की खुदकुशी !
पुलिस का कहना है कि अभी तक की जांच से ये प्रतीत होता है कि तीनों की मौत शुक्रवार रात या फिर शनिवार सुबह के बीच में हुई है, क्योंकि जब पुलिस को इस पूरे मामले की कॉल मिली और जब शव बरामद किए गए तो शव डिकंपोज होना शुरू हो चुके थे. यानी शव 12 से 24 घंटे पुराने थे.  


ऐसे हुआ घटना का खुलासा
फ्लैट नंबर 207 में कमला नाम की एक महिला बतौर मेड काम किया करती थी, लेकिन जब से इस परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ी तो उन्होंने कमला को भी काम पर आने से मना कर दिया था. हालांकि जब कभी कोई छोटा-मोटा काम होता तो वे कमला को काम के लिए बुला लिया करते थे. कमला ने बताया कि नजदीक में ही एक दुकानदार हैं, जैन साहब, जिनसे इस घर में सामान आता था. 10 दिन पहले कुछ सामान इन लोगों ने लिया था, जिसकी पेमेंट नहीं कर पाए थे. जैन साहब अपनी रकम के लिए तगादा भी कर चुके थे. गुरुवार को अंशिका ने मुझे फोन करके कहा था कि दीदी जैन अंकल को कह देना कि उनके पैसे शनिवार को मिल जाएंगे. मैं बैंक जाऊंगी. वहां से पैसे निकाल कर लाऊंगी तो उनके पैसे चुका दूंगी. 




किसी ने नहीं खोला दरवाजा
कमला ने बताया कि शनिवार शाम को जब मैं जैन साहब की दुकान पर गई तो उन्होंने कहा कि आज शनिवार हो गया है और पैसे आज भी नहीं आए हैं. जिसके बाद मैंने जब अंशिका के फोन पर कॉल की तो उसने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने तीन से चार कॉल की थी. फिर अपने बेटे को उनके घर पर भेजा. मेरे बेटे ने कई बार डोर बेल बजाई. लेकिन जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो उसने मुझे बताया कि अंदर से कोई भी जवाब नहीं दे रहा है. मैंने इस कॉलोनी के आरडब्ल्यूए के प्रेसिडेंट को पूरी बात की जानकारी दी. जिसके बाद आस पड़ोस के लोग भी इकट्ठा हो गए. फिर लगभग 9 बजे के आसपास सभी लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद पुलिस आई और सबको इस पूरी घटना की जानकारी हुई.


ऑनलाइन खरीदी गई थी टेप, फॉयल और अंगीठी
पुलिस ने बताया कि मौके का मुआयना करने के बाद ये पाया गया है कि दो कमरे के इस घर को अंदर से अच्छी तरह से सील पैक कर दिया गया था. वेंटिलेशन के हर पॉइंट को फॉयल, टेप और फाइबर नुमा पॉलिथीन से पैक कर दिया गया था. कोई एक ऐसा छेद बाकी नहीं छोड़ा था जिससे हवा आर पार जा सके. घर के अंदर से 3 छोटी अंगीठी भी मिली है. अभी तक की जांच में सामने आया है कि टेप, फॉयल, पॉलिथीन और छोटी अंगीठियां सभी चीजें ऑनलाइन शॉपिंग से खरीदी गई थी. 


तीनों शवों का नहीं हो पाया है पोस्टमार्टम
पुलिस के अनुसार अंशिका के मोबाइल से उनके एक चाचा का फोन नंबर मिला था जिसके माध्यम से उन्हें इन तीनों की मृत्यु की सूचना दे दी गई है. तीनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए सुरक्षित रखवा दिया गया है. आज अंशिका के चचेरे भाई व दो अन्य रिश्तेदार भी पहुंचे हैं, उनसे बातचीत की जाएगी. कार्रवाई के अनुसार अगर ये दावेदार पाए जाते हैं तो तीनों के शवों को उनके सुपुर्द कर दिया जाएगा. आंशिका के चचेरे भाई जब रविवार को वसंत अपार्टमेंट पहुंचे तो आस पड़ोस के लोग उन पर काफी नाराज हुए. उन्होंने कहा कि आप कैसे रिश्तेदार हो जिन्होंने इन तीनों का कोई हालचाल नहीं लिया. हालांकि आंशिका के चचेरे भाई ने बताया कि जब अंशिका के पिता की मौत हुई थी, तब कोविड की वजह से कोई नहीं आ सका था. 3 महीने पहले अंशिका से उनकी बात हुई थी. 


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