नई दिल्ली: चोरी किए गए मोबाइल अब भारत के अलग-अलग राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बेचे जा रहे हैं. सबसे ज्यादा डिमांड नए यानी डब्बा बंद मोबाइल की है, क्योंकि ये आसानी से बेचे जाते हैं और इनकी डिमांड भी काफी है. इसके अलावा विदेशों में ये मोबाइल आसानी से बिक जाते हैं. साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने मेवाती गैंग का भंडाफोड़ कर पूरे रैकेट का खुलासा किया है. जो दिल्ली से मोबाइल चोरी करने के बाद उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रास्ते चोरी के मोबाइल मुंबई पहुंचा रहा था और फिर मुंबई का मेन रिसीवर चोरी के मोबाइलों को कुरियर के माध्यम से मालदा और अगरतला पहुंचा रहा था.


साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक के अडिशनल डीसीपी अमित गोयल का कहना है कि दिल्ली कैंट इलाके में 16 मई की देर रात एक शोरूम में सेंधमारी की वारदात हुई, जहां से सेंधमारों ने करीब 54 मोबाइल चुराये. जांच के दौरान पुलिस ने तारिफ नाम के एक आरोपी को पकड़ा, जिसकी निशानदेही पर 10 मोबाइल बरामद किये गए.


तारीफ ने पूछताछ में खुलासा किया कि मेवात का एक गैंग दिल्ली में सक्रिय है, जो मोबाइल शोरुम में सेंध लगाने के बाद चोरी के मोबाइल मेवात में ही ज़ियाउद्दीन नामक शख्स को बेचते हैं. तारिफ के बैंक अकाउंट की डिटेल खंगाली गयी तो पता चला कि डिजिटल वॉलेट के जरिये यूपीआई के माध्यम से जियाउदीन नाम का एक शख्स उसे रुपए भेजता है. महज 3 महीने में जियाउदीन ने उसे 5 लाख रुपए भेजे हैं.


जियाउदीन के अकाउंट को खंगालने से पता चला कि उसे फिरोजाबाद निवासी मोहम्मद आलीम बैंक अकाउंट में रुपए भेजता था. अलीम को गिरफ्तार करने पर खुलासा हुआ कि वह मुम्बई में हासम को मोबाइल बेचता है. पुलिस ने हासम को भी गिरफ्तार किया, जिसने खुलासा किया कि वह कुरियर के माध्यम से मोबाइल मालदा और अगरतला पहुंचाता है, जहां से पंटर उन मोबाइल को बांग्लादेश, सूडान और थाईलैंड भेज देते हैं.


पुलिस को जांच में मोबाइल शोरूम में हुई सेंधमारी की सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी मिली है. ये मेवाती गैंग के चोर मिनी एसयूवी में सवार होकर एक शोरूम के बाहर आकर रुकते हैं और फिर रॉड की मदद से देखते ही देखते शटर तोड़ देते हैं. ये चोर इतने शातिर हैं कि सबसे पहले आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों पर नज़र डालते हैं और फिर उसे तोड़ देते हैं.


अगला काम होता है शटर तोड़ना, जिसे ये चोर चुटकियों में तोड़ देते हैं. सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि कितनी आसानी से रॉड की मदद से शटर तोड़ दिया गया. फिर शोरूम के अंदर जाकर मोबाइल फोन पर हाथ साफ कर लिया जाता है.


पुलिस ने अब तक इस पूरे रैकेट में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है और इनके पास से काफी बड़ी संख्या में मोबाइल बरामद किए हैं. इसके अलावा लाखों रुपए की बैंक ट्रांजेक्शन का भी पता चला है. साथ ही हवाला के जरिये लेनदेन भी सामने आया है. कुछ विदेशी नाम भी सामने आए हैं, जिनका पता लगाया जा रहा है.


पुलिस का कहना है कि जांच में ये जानकारी सामने आई की अलग अलग चोर जियाउदीन को चोरी के मोबाइल बेचते थे. जिसके बाद जियाउदीन मोबाइल मोहम्मद आलीम को बेच देता. जियाउदीन मेवाती गैंग के चोरों से चोरी के सील पैक मोबाइल एमआरपी पर 35 प्रतिशत रेट के हिसाब से खरीदता था. इसके बाद आगे वही मोबाइल अलीम को 40 प्रतिशत के हिसाब से बेच देता है. मोहम्मद अलीम इन मोबाइल को मुंबई निवासी हसम को बेच देता. हसम इन मोबाइल को पहुंचाता था. हसम आलीम के बैंक अकाउंट में रुपए भेजता था. पुलिस का कहना है कि अलीम चोरी के मोबाइल को हसम तक कूरियर के जरिए भेजता था. इस साल मार्च से लेकर अब तक हसम आलीम को 30 लाख रुपए बैंक खाते में भेज चुका था. जियाउदीन और आलीम के बीच 60 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन कुछ महीने के भीतर हो चुका था. पुलिस का कहना है कि जियाउदीन शिव कुमार और अजय से भी जेबतराशी और छीने गए मोबाइल फोन खरीदता था.


पुलिस ने इनके पास से 19 सील पैक मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जो निहाल विहार इलाके में एक शोरुम से चुराए गए थे. इसके अलावा लूट, झपटमारी और चोरी के 51 मोबाइल फोन और एक क्रेटा कार भी बरामद की है. पुलिस का दावा है इनकी गिरफ्तारी से 34 मामले सुलझा लिए गए हैं.


जियाजुद्दीन मेवात में ही मोबाइल शॉप चलाता है और इसी की आड़ में चोरी के मोबाइल खरीद कर उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद में रहने वाले अलीम को बेचता है. जो आगे उन मोबाइल को मुंबई के हासम को बेचता है. हासम उन मोबाइल को कूरियर का माध्यम से मालदा और अगरतला भेजता है, जहां से पंटर मोबाइल को विदेश भिजवाने का काम करते हैं.


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