SIMI Member Hanif Sheikh Arrested: दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने प्रतिबंधित संगठन स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के एक 47 वर्षीय सदस्य हनीफ शेख को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 22 वर्षों से फरार चल रहा था. पुलिस ने रविवार (25 फरवरी) को यह जानकारी दी. 


पुलिस के मुताबिक, हनीफ शेख को 2002 में भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था. उसे 22 फरवरी को महाराष्ट्र के जलगांव जिले के भुसावल से पकड़ा गया, जहां वह एक अलग पहचान के तहत एक उर्दू स्कूल में शिक्षक था.


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डिप्टी कमिश्नर आलोक कुमार ने दावा किया कि हनीफ सबसे कुख्यात और वॉन्टेड सिमी आतंकवादी है, जो देशभर में प्रतिबंधित संगठन की विभिन्न गतिविधियों में शामिल था.


पुलिस के पास था एकमात्र सुराग


पुलिस ने बताया कि हनीफ शेख ने जिस सिमी पत्रिका का संपादन किया, उसमें उसका नाम हनीफ हुडाई छपा था, यह पुलिस के पास उपलब्ध एकमात्र सुराग था, जिससे उसका पता लगाना मुश्किल हो गया था.


2001 में दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस थाने में हनीफ शेख के खिलाफ देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था. आलोक कुमार ने बताया कि एक स्थानीय अदालत ने 2002 में उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था.


ऐसे पकड़ा गया आतंकी


डीसीपी आलोक कुमार ने बताया कि स्पेशल सेल की एक टीम को राज्यों में फरार सिमी कैडर, समर्थकों और स्लीपर सेल के बारे में डेटा, जानकारी और अन्य डिजिटल फुटप्रिंट्स इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था. टीम ने बड़े पैमाने पर दौरा किया और देश के विभिन्न हिस्सों से जानकारी इकट्ठा की, जिससे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को हनीफ तक पहुंचने में मदद मिली.


अधिकारी ने कहा कि इसके बाद एक छापेमारी दल का गठन किया गया जिसने ट्रैप तैयार किया. 22 फरवरी की दोपहर करीब 2.50 बजे मोहम्मदीन नगर से खड़का रोड की ओर जा रहे एक शख्स की पहचान हनीफ के रूप में हुई. डीसीपी ने कहा कि जैसे ही टीम के सदस्यों ने उसे घेरना शुरू किया, हनीफ ने भागने की कोशिश की लेकिन हाथापाई के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.


युवाओं को कट्टरपंथी बना रहा था हनीफ शेख


डीसीपी ने कहा कि सिमी कार्यकर्ताओं के संपर्क में आने के बाद हनीफ अत्यधिक कट्टरपंथी बन गया था और संगठन में शामिल होने के बाद उसने इसके साप्ताहिक कार्यक्रमों में भाग लेना और युवाओं को कट्टरपंथी बनाना शुरू कर दिया. हनीफ को बाद में 2001 में सिमी की पत्रिका के उर्दू संस्करण के संपादक के रूप में नियुक्त किया गया था.


उन्होंने बताया कि हनीफ वहादत-ए-इस्लाम के थिंक टैंक सदस्यों में से एक था और महाराष्ट्र और आसपास के अन्य राज्यों में उसने अहम भूमिका निभाई थी.


पुलिस अधिकारी ने बताया कि हनीफ सिमी के साथ-साथ वहादत-ए-इस्लाम के एजेंडे को समर्थन और वित्त पोषण करने के लिए दान की आड़ में धन इकट्ठा करने में भी शामिल था. 2001 में दिल्ली से भागने के बाद वह जलगांव और उसके बाद महाराष्ट्र के भुसावल चला गया, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया.


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