Delhi Ordinance Bill: दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को लोकसभा में मंगलवार (1 अगस्त) को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा तो इस पर कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पलटवार किया. वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) ने अपना रुख साफ कर दिया. हालांकि लोकसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत है लेकिन राज्यसभा में किसका पलड़ा भारी है. बड़ी बातें- 


1. लोकसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय के ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका विरोध राजनीति के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संविधान ने दिल्ली के संबंध में सदन को कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है. 


2. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पर लोकसभा में बुधवार (2 अगस्त) को चर्चा होगी. इसको लेकर बीजेपी ने पार्टी सांसदों को व्हिप जारी कर लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है. 


3. लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस और टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दलों ने पलटवार किया. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक दिल्ली सरकार की शक्तियों को छीनने के लिए लाया गया है. वहीं टीएमसी के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए लाया गया है. 


4. लोकसभा में इसे पेश किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी प्रतिक्रिया दी. 'आप' के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक पिछले अध्यादेश से भी बदतर है.  विधेयक को संसद में रखा गया अब तक का सबसे अलोकतांत्रिक और अवैध दस्तावेज करार देते हुए चड्ढा ने कहा कि यह दिल्ली की चुनी हुई सरकार से सभी अधिकार छीनकर उन्हें उपराज्यपाल और बाबुओं को दे देगा. 


5. इस बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) ने भी अपना रुख साफ कर दिया. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बीजेडी के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा वो इसको लेकर केंद्र सरकार के समर्थन में है. बीजेडी ने इस संबंध में पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है.


6. आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी अपना स्टैंड साफ कर दिया है.  वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ''हमारी पार्टी और नेता वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करने का फैसला लिया है. हम सुनिश्चित करेंगे कि बिल संसद में पास हो.'' 


7. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और बीजेडी के रुख साफ करने से केंद्र सरकार को फायदा होगा. दोनों ही पार्टियों के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य है. ऐसे में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के मुकाबले राज्यसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का पलड़ा भारी होता दिख रहा है.  


8. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राज्यसभा में एनडीए के 100 सांसद हैं. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के समर्थन करने से एनडीए के पास 118 सांसदो का समर्थन हो गया है. इसके अलावा आमतौर पर नामित सदस्य भी सरकार का साथ देते हैं. 


9. 26 विपक्षी दलों वाले इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के राज्यसभा में 101 सांसद है. इसके अलावा माना जा रहा है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति विपक्षी खेमे का साथ देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको लेकर बीआरएस प्रमुख केसीआर से मुलाकात की थी. इस दौरान केसीआर ने कहा था कि वो केजरीवाल के साथ हैं. बीआरएस के राज्यसभा में सात सांसद हैं. 


10. सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास ही सेवाओं का कार्यकारी नियंत्रण होगा, जिनमें दिल्ली सरकार में नौकरशाहों की ट्रांसफर और पोस्टिंग शामिल है. इस निर्णय के एक हफ्ते बाद केंद्र ने यह अध्यादेश जारी किया था. 


अरविंद केजरीवाल की 'आप' सरकार ने अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बीते कुछ महीनों के दौरान केजरीवाल ने देशभर की यात्रा की और विधेयक के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. 



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