दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में कहा गया है कि राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार के कहने पर चुनाव की घोषणा टाली है. यह आयोग की स्वायत्तता में दखल है. मई में एमसीडी का कार्यकाल पूरा हो रहा है. अप्रैल में चुनाव करवाए जाने चाहिए.


आम आदमी पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि दुर्गेश कुमार के ने यह याचिका दाखिल की है. अंकुश नारंग और मनोज कुमार त्यागी भी मामले में सह-याचिकाकर्ता हैं. वकील शादान फरासत के ज़रिए दखिल याचिका में कहा गया है कि राज्य चुनाव आयोग काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहा था. उसने कई नोटिस प्रकाशित कर यह जानकारी दी थी कि अप्रैल में चुनाव होंगे.


याचिका में बताया गया है कि 9 मार्च को राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करने की बात कही. यह प्रेस कांफ्रेंस शाम 5 बजे होनी थी. लेकिन थोड़ी देर बाद एक प्रेस नोट जारी कर आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस स्थगित कर दी. इस प्रेस नोट में आयोग ने बताया कि उसे दिल्ली के उपराज्यपाल ने एक चिट्ठी भेजी है. उस चिट्ठी में उन्होंने बताया है कि केंद्र सरकार तीनों एमसीडी का आपस में विलय कर एक करना चाहती है. इसलिए, चुनाव कार्यक्रम का एलान फिलहाल स्थगित किया जा रहा है.


इस मामले का दिया गया हवाला


याचिकाकर्ताओं ने 2006 में 'किशन सिंह तोमर बनाम म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, अहमदाबाद' मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत केंद्रीय चुनाव आयोग को जो स्वायत्तता और राजनीतिक दखलंदाज़ी से स्वतंत्रता हासिल है, वैसी ही स्थिति राज्य चुनाव आयोग की भी है. ऐसे में केंद्र सरकार के कहने पर राज्य चुनाव आयोग का चुनाव की घोषणा न करना इस स्वायत्तता के विरुद्ध है.


आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट, 1957 में नगर निगम के लिए 5 साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है. तीनों नगर निगमों का कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है. ऐसे में पार्टी ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली चुनाव आयोग को पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक अप्रैल में ही चुनाव आयोजित करने का निर्देश दे.


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