Inquiry In Fire Case: दिल्ली के मुंडका इलाके की इमारत में लगी आग के मामले में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मैजिस्ट्रेट जांच के लिए मंजूरी दे दी है. इस जांच के लिए जो टीम बनाई जाएगी उसकी अगुवाई डीएम (वेस्ट) करेंगे. जांच में देखा जाएगा कि बिल्डिंग के मालिक और किराएदारों के अलावा सरकारी एजेंसियों और विभागों के स्तर पर क्या कमियां रह गईं और मामले में किस प्रकार का एक्शन लिया जाए.


शुरूआती जांच में कई सवाल


मुंडका अग्निकांड की शुरुआती जांच में पाया गया कि ये इमारत ग्राम सभा (लाल डोरा) की जमीन पर बनाई गई थी. इतना ही नहीं इसके निर्माण में भी आग से सुरक्षा के उपायों सहित अन्य तमाम नियमों को ताख पर रख दिया गया था. इससे न सिर्फ 27 लोगों की जिंदगी खाक हो गई बल्कि कई लोगों को ताउम्र न भूलने वाला गम भी दे गई.


क्या था मामला


दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास बीते शुक्रवार को एक इमारत में लगी भीषण आग में 27 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. सबसे ज्यादा लोग सेकंड फ्लोर पर फंसे थे. यहां से 50-60 लोगों को निकाला गया. बिल्डिंग का मालिक है मनीष लाकड़ा टॉप फ्लोर पर था. वो अपने परिवार के साथ था और किसी तरह बाहर निकल कर भाग गया. मनीष लाकड़ा को तलाशने के लिए कई टीमों ने कई जगह रेड की और उसे घेवरा मोड़ से गिरफ्तार कर लिया गया. साल 2011 में मनीष के पिता ने ये बिल्डिंग ली थी, और 2016 में इसके नाम हो गयी. यहां पर टेनेंट वेरिफिकेशन भी नहीं हुई थी.


इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने शनिवार सुबह मुंडका थाने में आईपीसी की धारा 308, 304, 120 बी और 34 की धारा के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की थी. फिलहाल इसमें 5 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें बिल्डिंग का मालिकना हक रखने वाली सुशीला लाकड़ा, उनका बेटा मनीष लाकड़ा, मनीष की पत्नी सुनीता लाकड़ा के साथ-साथ इस प्रॉपटी को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किराए पर लेने वाले दो भाई हरीश गोयल और वरुण गोयल शामिल हैं.


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