नई दिल्ली: भारत में अब जल्द ही हाइड्रोजन पर आधारित तकनीक से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत की जा सकती है. इस तकनीक को सबसे पहले जींद और सोनीपत के बीच 89 किमी ट्रैक पर चलने वाली विकसित किया जाएगा. अगर ये तकनीक भारत में सफल होती है, तो दुनिया में भारत तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जहां ग्रीन एनर्जी का उपयोग किया जाएगा.


एडीजी पीआरओ राजीव जैन ने कहा, 'हम जींद और सोनीपत के बीच 89 किमी ट्रैक पर चलने वाली डेमू ट्रेनों में रेट्रोफिटिंग करेंगे. इसके लिए प्री-बिड कॉन्फ्रेंस 17 अगस्त को होगी और हमें उम्मीद है कि 5 अक्टूबर तक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.' वहीं रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के सीईओ एसके सक्सेना ने कहा, 'हम डीजल जनरेटर को हटा देंगे और एक हाइड्रोजन ईंधन सेल स्थापित करेंगे. इनपुट डीजल से हाइड्रोजन ईंधन में बदल जाएगा. यह ईंधन का सबसे स्वच्छ रूप होगा. अगर हाइड्रोजन सौर से उत्पन्न होता है तो इसे हरित ऊर्जा कहा जाएगा.'


भारतीय रेलने ने हाइड्रोजन पर आधारित ट्रेनों के लिए बोलियां मांगीं
दरअसल, भारतीय रेल ने उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद मार्ग पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) पर रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित तकनीक के इस्तेमाल को बोलियां मांगी हैं. इसके जरिए भारतीय रेल यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि क्या मौजूदा डीजल से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है.


बयान में कहा गया, "डीजल से चलने वाले डेमू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन सेट में बदलने से न केवल सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी, बल्कि हर साल 11.12 किलो टन के कार्बन उत्सर्जन (नाइट्रिक ऑक्साइड) को कम किया जा सकेगा."


बयान के अनुसार इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद विद्युतीकरण के जरिये डीजल ईंधन से चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन से चलाने की योजना बनायी जा सकती है. निविदा दाखिल करने की समयसीमा 21 सितंबर, 2021 से पांच अक्तूबर 2021 तय की गयी है.


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