Delhi High Court Verdict On CDS: कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (सीडीएस) के जरिए सेना में उच्च पदों पर महिलाओं की कमिश्निंग के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को आठ सप्ताह में निर्णय लेने को कहा है.


दिल्ली हाई कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई कि महिलाओं को सीडीएस परीक्षा के माध्यम से भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यूज वेबसाइट 'बार एंड बेंच' की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने ये निर्देश दिया है. अधिवक्ता कुश कालरा ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी जिसका निपटान भी फैसले के साथ कर दिया गया.


कुश कालरा ने 22 दिसंबर, 2023 को याचिका लगाई थी. आज जब कोर्ट ने इसका निपटान किया तो उन्होंने मांग की कि जब तक केंद्र सरकार इस पर फैसला नहीं ले लेती, तब तक की याचिका को लंबित रखा जाए लेकिन कोर्ट ने कहा इसकी कोई जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार को फैसला लेने दीजिए. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि सेना में सीडीएस के जरिए नियुक्ति में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय को इस बारे में फैसला लेने का अधिकार है, उन्हें समय दीजिए.





सेना में महिलाओं की कमिश्निंग के लिए अभी क्या है नियम?


सीडीएस परीक्षाओं के जरिए भारत की तीनों सेनाओं - इंडियन आर्मी, नेवी और एयर फोर्स - में अधिकारी के पद पर सीधे तैनौती मिलती है. सीडीएस परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को कैडेट ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. इसके तहत लेवल 10 पर आधारित वजीफा के तौर पर ट्रेनिंग के दौरान ही 56 हजार 100 रुपये प्रति माह मिलते हैं. इस परीक्षा में महिलाएं भी बैठ सकती हैं लेकिन चयनित होने पर वे केवल अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में शामिल हो सकती हैं. वे सीधे सेना, नौसेना या वायु सेवा में नहीं जा सकती हैं. साल में यह परीक्षा दो बार होती है.


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