Mahua Moitra Case: अधिवक्ता जय अनंत देहाद्राई की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को समन जारी किया है.  बुधवार (20 मार्च) को न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने मामले पर मोइत्रा को जवाब दाखिल करने को कहा है.


मामले में अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी. मोइत्रा के पूर्व साथी जय अनंत देहाद्राई की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने राहत‌ की मांग की थी, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया. 


कई मीडिया संस्थानों को नोटिस 


कोर्ट ने मामले में कई मीडिया संस्थानों को भी समन जारी किया है. मुकदमे पर अंतरिम राहत की मांग करते हुए देहाद्राई ने आरोप लगाया है कि मोइत्रा ने इंटरनेट मीडिया के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिए हैं. आरोप है कि संबंधित मीडिया संस्थानों ने देहाद्राई का पक्ष जाने बगैर खबरें चलाईं. जस्टिस प्रतीक जालान ने बुधवार को पांच मीडिया हाउसों के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और गूगल एलएलसी को समन जारी किया.


कैश फॉर क्वेरी मामले में हैं सस्पेंड


महुआ मोइत्रा को पिछले साल 8 दिसंबर को एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर लोकसभा सांसद के रूप में निष्कासित कर दिया गया था. उन पर हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी की ओर से सदन में सवाल पूछने के बदले नकद राशि हासिल करने के आरोप का सामना करना पड़ा था.


अब देहाद्राई के मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि महुआ ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए.


दो करोड़ मांग‌ रहे हैं देहाद्राई


देहाद्राई महुआ से 2 करोड़ रुपये का हर्जाना मांग रहे हैं. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि महुआ ने उन्‍हें "बेरोजगार" और "झुका हुआ" व्‍यक्ति कहा था. इसके अलावा, मुकदमे में महुआ को सोशल मीडिया पर देहाद्राई के खिलाफ और अधिक अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने से रोकने की मांग की गई है.


न्यायमूर्ति जालान ने कहा कि इस प्रकृति के मामलों में दोनों पक्षों को अक्सर युद्धरत गुटों के रूप में देखा जाता है, न तो केवल पीड़ित और न ही अपराधी. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अदालत कक्ष के बाहर लड़ा जाता है.
बता दें कि महुआ मोइत्रा ने कथित तौर पर देहाद्राई के खिलाफ 24 मार्च और 23 सितंबर को दो पुलिस शिकायतें दर्ज की थीं और बाद में समझौता वार्ता के कारण उन्हें वापस ले लिया गया था.


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