पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत नेता राम विलास पासवान के सरकारी बंगले को खाली कराने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से लोकसभा सांसद चिराग पासवान को राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान की मां रीना पासवान की याचिका को खारिज करते कहा कि कार्रवाई शुरू हो गई है लिहाजा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. दिल्ली हाई कोर्ट ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले को खाली कराने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. 


बंगले को लेकर हाईकोर्ट से नहीं मिली चिराग को राहत


याचिकाकर्ता के वकील ने "व्यावहारिक कठिनाइयों" का हवाला देते हुए कोर्ट से शहर के बीचों-बीच जनपथ में परिसर खाली करने के लिए अदालत से चार महीने का समय मांगा और अदालत को बताया कि वर्तमान में सैकड़ों लोग वहां रह रहे हैं. लेकिन अदालत से राहत नहीं मिली. इससे पहले सांसद चिराग पासवान ने कहा था कि मैं जिस चीज का अधिकारी नहीं हूं, वह मुझे मिल भी नहीं सकता है और मैं जबरन रख भी नहीं सकता हूं. उन्होंने कहा कि हां वैसे जिस तरीके से मुझे घर छोड़ना पड़ रहा है, उस तरीके पर मुझे थोड़ी आपत्ति जरूर है. मेरे पिताजी के समय से ही उनके साथ काम करने वाले करीब 100 लोग यहां रहते हैं.


सरकार ने बंगला खाली करने के लिए भेजी थी टीम


बता दें कि सरकार ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के लिए एक टीम भेजी थी. अधिकारियों ने कहा था कि 12-जनपथ बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया था. बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद ही चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार के बीच मतभेदों के बाद लोकजनशक्ति पार्टी विभाजित हो गई थी.


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