दिल्ली के लाल किले के बाहर सोमवार (10 नवंबर) को हुए धमाके की जांच में एजेंसियों को अब सबसे महत्वपूर्ण सुराग उन दो मोबाइल फोनों से मिलने की उम्मीद है, जो आरोपी डॉ. उमर उन नबी के पास आखिरी बार देखे गए थे. जांचकर्ताओं का मानना है कि ये फोन अगर मिल जाते हैं तो यह पता चल सकता है कि उमर के संपर्क में कौन लोग थे, किसने उसे लीड किया, फंडिंग की और क्या यह हमला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था?

Continues below advertisement

जांच की सबसे बड़ी कड़ी हैं ये दो फोन 

उमर को हरियाणा के एक मेडिकल स्टोर की CCTV फुटेज में दो मोबाइल फोनों के साथ देखा गया था. उसी समय से ये फोन जांच का सबसे बड़ा आधार बन गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, उमर से जुड़े दिल्ली, फरीदाबाद और मेवात के पांच मोबाइल नंबरों की पहचान हो चुकी है, लेकिन 30 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच इस्तेमाल किए गए उसके दो नए नंबर अभी तक नहीं मिल पाए हैं. इन्हें ही सबसे बड़ा मिसिंग लिंक माना जा रहा है.

Continues below advertisement

अक्टूबर में ही बदले थे फोन और नंबर

जांच में सामने आया है कि उमर ने अपने पुराने दोनों नंबर 30 अक्टूबर को ही बंद कर दिए थे. यही वह दिन था जब उसका करीबी साथी डॉ. मुजम्मिल शकील पकड़ा गया था. अधिकारियों का मानना है कि गिरफ्तारी की खबर जैसे ही उमर तक पहुंची, उसने अपने सभी पुराने ट्रेस करने लायक फोन फेंक दिए और दो नए प्रीपेड नंबर फर्जी पहचान पर लिए.

ट्रैक हुई आखिरी 36 घंटे की मूवमेंट 

पिछले एक हफ्ते में NIA, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और J&K पुलिस ने उमर की आखिरी 36 घंटे की मूवमेंट मिनट-दर-मिनट ट्रैक की है. फरीदाबाद से नूंह, फिर दिल्ली तक उसकी हर लोकेशन को CCTV फुटेज,  मोबाइल टावर डंप, चैट डेटा और गवाहों की गवाही से मैच किया जा रहा है.

सबसे अहम बात ये है कि 9 नवंबर की शाम के बाद किसी भी फुटेज में उमर के हाथ में फोन नहीं दिखता, चाहे वह फैयज इलाही मस्जिद हो या लाल किले की पार्किंग. इससे शक है कि उसने फोन किसी को सौंप दिए या नष्ट कर दिए.

जांच में हुआ बड़ा खुलासा

जांच में यह भी सामने आया है कि 10 नवंबर को दोपहर 2.30 बजे उमर तुर्कमान गेट की मस्जिद पहुंचा और 15 मिनट अकेले रहा. कर्मचारियों ने बताया कि उसने किसी से बातचीत नहीं की, लेकिन पुलिस को लगता है कि डेटा का गायब होना भी एक तरह का सबूत है. संभावना है कि यही पर फोन किसी को दिए गए हों. इसलिए मस्जिद में उस समय मौजूद हर व्यक्ति की लिस्ट तैयार कर पूछताछ की जा रही है.

ATM से 76,000 रुपये निकाले

एक बड़ा सुराग नूंह के फिरोजपुर झिरका से मिला, जहां उमर को 10 नवंबर की रात 1:07 बजे ATM से पैसे निकालते देखा गया. गार्ड ने बताया कि उमर ने मेडिकल इमरजेंसी का बहाना किया और  दो बार मिलाकर करीब ₹76,000 निकाले. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि हमला करने से पहले यह उसकी आखिरी बड़ी तैयारी थी.

धमाका स्थल के पास मिले 9mm कारतूस

धमाके वाली जगह से पुलिस को दो जिंदा और एक खाली 9mm कारतूस मिले हैं. यह गोला-बारूद आमतौर पर सुरक्षाबलों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि उमर के पास हथियार होने का सीधा सबूत नहीं मिला है, फिर भी शक है कि वह कोई हथियार रास्ते में फेंककर आया हो, या यह किसी दूसरे शख्स की गतिविधि से जुड़ा हो.

कई शहरों में छापेमारी तेज

जांच टीमें अब फरीदाबाद, नूंह, गुरुग्राम और बल्लभगढ़ में मस्जिदों,  किराए के कमरों,  मेडिकल दुकानों,  कोचिंग सेंटर्स और खाने-पीने की जगहों पर लगातार छापेमारी कर रही हैं. नए किरायेदारों और बाहरी लोगों की पहचान की विशेष जांच की जा रही है.

अब आगे क्या?

जांच अधिकारियों के अनुसार, यह साफ है कि उमर लगातार SIM बदलता था. Signal, Briar जैसी एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग करता था.  कोड वर्ड से बात करता था और साजिश को छिपाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता था.  एक अधिकारी ने कहा कि अगर वे दो फोन मिल गए, तो साजिश की पूरी कहानी सामने आ जाएगी.”

ये भी पढ़ें-

पहले तेज प्रताप, फिर रोहिणी आचार्य... बिहार में हार के बाद लालू फैमिली में घमासान, तेजस्वी के पास क्या-क्या विकल्प?