बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद लालू यादव के परिवार में दरार खुलकर सामने आ गई है. तेज प्रताप की नाराजगी से लेकर रोहिणी आचार्य की भावुक बयानबाजियों तक, सबने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक और पारिवारिक संकट के इस मुश्किल भरे दौर में तेजस्वी यादव इसे कैसे संभालेंगे? परिवार के भीतर उभरे तनाव को देखते हुए कई संभावित विकल्पों पर चर्चा है, जिनसे स्थिति को संतुलित किया जा सकता है.

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तेज प्रताप की वापसी: सुलह की पहली सीढ़ी?

एक प्रमुख विकल्प यह है कि तेजस्वी अपने बड़े भाई तेज प्रताप को परिवार और पार्टी में सक्रिय भूमिका देकर वापस जोड़ें. इससे टूटते रिश्तों में सुधार का संकेत मिलेगा और परिवार एकजुट दिखाई देगा. हालांकि, लंबे समय से चला आ रहा तनाव यह तय करेगा कि यह समझौता टिकाऊ होगा या नहीं.

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तेज प्रताप की मदद से रोहिणी आचार्य को मनाना

तेज प्रताप की वापसी अगर सफल होती है तो उनकी मध्यस्थता से रोहिणी आचार्य को भी परिवार में वापस शामिल किया जा सकता है. रोहिणी की नाराजगी सार्वजनिक हो चुकी है, ऐसे में उन्हें सम्मानजनक तरीके से मनाना लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती है. अगर दोनों वापस आते हैं, तो यह परिवार की छवि को मजबूत कर सकता है. तेज प्रताप पहले ही रोहिणी के समर्थन में बयान दे चुके हैं.

संजय यादव और रमीज़ को साइड लाइन करना

परिवार के भीतर विवाद से जुड़े लोगों में रमीज खान और संजय यादव की भूमिका लगातार चर्चा में है. रोहिणी ने सबके सामने रमीज खान और संजय यादव का नाम लिया है. उन्होंने पार्टी की हार और परिवार की कलह के लिए इन्हीं दोनों को जिम्मेदार ठहराया है. ऐसे में तेजस्वी इनकी शक्ति सीमित कर सकते हैं या उन्हें बाहर भी कर सकते हैं. इससे संदेश जाएगा कि परिवार बाहरी लोगों के दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा, लेकिन ऐसा करने से पार्टी के भीतर नई खींचतान भी पैदा हो सकती है क्योंकि संजय यादव को तेजस्वी यादव का दिमाग और रमीज़ को उनका आंख-कान कहा जाता है.

लालू को डिसीजन मेकिंग में आगे लाना

लालू यादव को फिर से प्रमुख निर्णय लेने वाली भूमिका में लाया जा सकता है. उनकी साख और अनुभव परिवार को एकजुट करने में मदद कर सकते हैं. यह कदम तेजस्वी के लिए भी ढाल बन सकता है क्योंकि विवादों के निर्णय ‘पारिवारिक मुखिया’ द्वारा लिए जाने का संदेश जाएगा. साथ ही लालू यादव सभी को साधते हुए संतुलित फैसले लेने में ज्यादा सहज दिखेंगे.

तेजस्वी को औपचारिक रूप से दूसरे नंबर पर रखना

लालू यादव के हाथ में पूरी तरह से फैसलों की कमान देने के बाद तेजस्वी को पार्टी के दूसरे नंबर पर रखने का विकल्प भी असरदार माना जा सकता है. इससे उन्हें कार्यकारी नेतृत्व जारी रखने का मौका मिलेगा, जबकि रणनीतिक निर्णय वरिष्ठों के हाथ में रहेंगे. यह कदम परिवारवाद के भीतर संतुलन बनाने वाला हो सकता है, लेकिन यह राजनीतिक आलोचना भी ला सकता है.

मीसा भारती बन सकती हैं संकटमोचक

परिवार में बढ़ते तनाव के बीच मीसा भारती को संभावित संकटमोचक के रूप में देखा जा सकता है. मीसा घर की सबसे बड़ी बहन हैं और अकसर विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभाती रही हैं. उनकी बातचीत की शैली, शांत स्वभाव और लालू-राबड़ी के साथ मजबूत समीकरण उन्हें इस स्थिति में अहम बना देता है. वे तेजस्वी, तेज प्रताप और रोहिणी-तीनों के बीच पुल की भूमिका निभा सकती हैं.