अमेरिका के बेहद खास और खतरनाक ड्रोन को लेकर भारत की डील क्रैक हो सकती है. 15 जून को होने वाली एक अहम बैठक में भारतीय रक्षा मंत्रालय अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन के सौदे पर मुहर लगा सकता है. पिछले कई सालों से इस डील को लेकर काम किया जा रहा है. बीच में इस डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, लेकिन पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले इस पर फैसला लिया जा सकता है. 


डील पर लग सकती है मुहर
इंडिया टुडे ने सरकारी सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में ये जानकारी दी है. जिसमें बताया गया है कि लंबे समय से अटकी हुई इस डील को 15 जून को होने वाली बैठक के बाद आगे बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए अमेरिका की तरफ से भी लगातार कोशिशें हो रही हैं. रक्षा मंत्रालय की ये बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 से 24 जून तक अमेरिका दौरे से ठीक पहले हो रही है. जिसमें कई रक्षा सौदों को लेकर चर्चा हो सकती है. 


अमेरिका की तरफ से दबाव
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की तरफ से पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले रक्षा सौदों की मंजूरी का दबाव बनाया जा रहा है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पेंटागन और व्हाइट हाउस की तरफ से भारत को रक्षा सौदों में प्रोग्रेस के लिए कहा गया है. जिसमें फिलहाल सबसे ज्यादा फोकस प्रीडेटर हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन पर है. 


बेहद घातक है ड्रोन
अमेरिकी ड्रोन - MQ-9B SeaGuardian को अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स ने बनाया है. इस ड्रोन की खासियत है कि ये काफी सटीक निशाना साधता है और दुश्मन को जब तक भनक लगती है, तब तक ये अपना काम कर चुका होता है. इस ड्रोन में ऐसी मिसाइल फिट की जाती है, जिससे किसी भी छोटे से छोटे टारगेट को तबाह किया जा सकता है. अमेरिका ने हाल ही में इसी तरह के ड्रोन का इस्तेमाल कर अल-कायदा प्रमुख अल-जवाहिरी पर हमला किया था और उसे मार गिराया था. इसके अलावा ये ड्रोन ऊंचाई वाले इलाकों में निगरानी रखने के लिए भी काफी कारगर है. 


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