Pakistani Refugee: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों पर घर छिनने का खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए यमुना के बाढ़ वाले इलाके में रहने वाले परिवारों को इलाका खाली करने का नोटिस जारी किया, जिस पर आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला किया.


एक तरफ जहां आप नेता और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसे गरीब विरोधी कार्रवाई करार दिया और उपराज्यपाल से नोटिस वापस लेने का आग्रह किया तो वहीं कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने इसे अमानवीय और अवैध करार दिया. वहीं, बीजेपी ने दोनों राजनीतिक दलों पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया.


जानिए किसने क्या कहा?


सौरभ भारद्वाज ने कहा, “डीडीए ने साल 2011 से मजनू का टीला में रहने वाला पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को अपना सामान पैक करने और द्वारका में एक रैन बसेरे में जाने के लिए नोटिस जारी किया है क्योंकि उनके घरों को जल्दी ही बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया जाएगा.”


उन्होंने कहा कि डीडीए, भूमि एवं विकास कार्यालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश पर पिछले कुछ महीनों में शहर भर में बस्तियां साफ हो गई हैं. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों के तहत एजेंसियां दिल्ली को झुग्गियों से मुक्त कराने के प्रयास में गरीबों को सड़कों पर ला रही हैं. लोगों से कैसे उम्मीद की जाती है कि वे उस जगह को छोड़ दें जहां वे रह रहे हैं और बहुत दूर चले जाएं, वह भी ऐसे रैन बसेरे में जो परिवारों के लिए नहीं है."


अरविंदर सिंह लवली क्या बोले?


कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बेदखली नोटिस अवैध थे. उन्होंने कहा, “संसद ने हाल ही में 2026 तक झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ने पर रोक लगाने वाला कानून पारित किया है. बीजेपी गरीबों को लेकर तुच्छ राजनीति कर रही है.”


जवाब में, दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, "एनजीटी ने बहुत पहले ही क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन डीडीए ने सहानुभूति के आधार पर इसमें यथासंभव देरी की.” उन्होंने कहा, "हमने यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं कि प्रभावित लोगों को वैकल्पिक आवास मिले बिना ये विध्वंस न हों."


एनजीटी ने डीडीए पर की थी कार्रवाई


नवंबर 2019 में, एनजीटी ने यमुना बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए डीडीए और दिल्ली सरकार को बस्तियों को खाली करने का निर्देश दिया था. इसके बाद, एनजीटी ने इस साल 29 जनवरी को एक आदेश के माध्यम से डीडीए पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उसे चार सप्ताह के भीतर मामले पर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.


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