नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी को असमानताओं, सामाजिक एवं आर्थिक प्रणालियों में कमजोरियों को उजागर करने में बहुत कम समय लगा है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में अब हमें प्रकृति के खिलाफ नहीं बल्कि उसके साथ मिल कर जीने की काफी जरूरत है.


कोविड-19 संकट ने कमजोरियों को उजागर किया


रिपोर्ट में चेताया गया, "दुनिया के सामने कोविड-19 एक नया संकट है, लेकिन अगर मनुष्य ने प्रकृति को अपने ‘चंगुल’ से आजाद नहीं किया, तो यह आखिरी संकट नहीं होगा." रिपोर्ट में मानव प्रगति पर एक प्रयोगात्मक सूचकांक को शामिल किया गया है. यह विभिन्न देशों में कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर गौर करता है. मानव विकास में आगे चुनौती प्रकृति से लड़ने नहीं बल्कि उसके साथ मिल कर चलने और सामाजिक नियमों, मूल्यों में बदलाव लाने की है.


प्रकृति पर दबाव कम करने का सुझाव-रिपोर्ट


यूएनडीपी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि दुनिया के नेताओं के पास अब साहसी कदमों के जरिये प्रकृति पर दबाव कम करने का विकल्प है. रिपोर्ट कहती है, ‘‘अगर हमें दुनिया में संतुलन के साथ रहना है तो एजेंसियों और सशक्तिकरण के जरिए काम करने की जरूरत होगी होगी. आज हम इतिहास के ऐसे अभूतपूर्व पल में हैं, जहां मानव गतिविधियां सभी चीजों को आकार दे रही हैं.’’ रिपोर्ट का सार यही है कि हम जिस रास्ते पर हैं, उसे बदलने के लिए हमें अपने रहने, काम करने और सहयोग के तरीके में बड़ा बदलाव लाना होगा और शक्ति को इस्तेमाल करने का समय है जिससे दोबारा परिभाषित किया जा सके विकास का मतलब क्या है. भारत में वर्चुअल लांच होने के वक्त नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद मौजूद थे.


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