नई दिल्ली: कोरोना के दौरान सार्वजनिक जगहों और सड़कों पर भीख मांगने पर पाबंदी लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह गरीबों के प्रति ऐसा रवैया अपनाएगी.


हालांकि, कोर्ट ने सड़क किनारे जीवन बिताने वाले लोगों के कोरोना से बचाव और टीकाकरण की मांग पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता कुश कालरा का कहना था कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए ट्रैफिक लाइट और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर भीख मांग रहे लोगों को रोकना ज़रूरी है.


जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. जजों ने कहा कि लोग गरीबी और लाचारी के चलते भीख मांगते हैं. उनके साथ इस तरह का असंवेदनशील व्यवहार नहीं किया जा सकता.


इन लोगों को कोरोना से बचाया जाना है मकसद- चिन्मय शर्मा


याचिकाकर्ता के वकील चिन्मय शर्मा ने याचिका का बचाव करते हुए कहा कि उनकी बात को सही संदर्भ में समझने की ज़रूरत है. उनका ज़ोर भिखारियों और बेघर लोगों के पुनर्वास पर है. वह यह भी चाहते हैं कि इन लोगों को कोरोना से बचाया जाए.


उनका वैक्सीनेशन हो. इस पर जजों ने कहा, "आप की याचिका में पहली प्रार्थना ही भिखारियों को हटाने की है. यह स्पष्ट रहे कि यह अदालत भीख मांगने पर प्रतिबंध का कोई आदेश नहीं देगी. आपकी बाकी बातों पर विचार किया जा सकता है."


अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद


इस टिप्पणी के बाद जजों ने भिखारियों और बेघर लोगों को कोरोना से बचाने, इलाज की सुविधा देने, उनके टीकाकरण और पुनर्वास जैसे मुद्दों पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को भी मामले में अपनी सहायता करने के लिए कहा है. मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.


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