नई दिल्ली: सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख ने कहा है कि यह मानने के कोई कारण मौजूद नहीं हैं कि आने वाले हफ्तों, महीनों या कोविड-19 की अगली लहर में, बड़ी संख्या में बच्चे इससे प्रभावित होंगे. बहरहाल, उन्होंने बाल कोविड सेवाओं में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पर जोर जरूर दिया.


एनटीएजीआई के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने इंटरव्यू में कहा कि मौजूदा आंकड़े भारत में वायरस के विभिन्न स्वरूपों द्वारा बच्चों या युवाओं को विशेषतौर पर प्रभावित करने संबंधी कोई पूर्वानुमान नहीं दर्शाते हैं.


उन्होंने, ‘‘चूंकि संक्रमण के कुल मामले बढ़े हैं इसलिए दोनों आयुवर्ग के मरीज भी ज्यादा नजर आ रहे हैं.’’ आईएनसीएलईएन न्यास के निदेशक अरोड़ा ने कहा कि इस वक्त तीसरी लहर के बारे में कुछ भी अनुमान लगाना संभव नहीं है.


अरोड़ा ने कहा, ‘‘अपने देश में जो अनुभव मिला है और दुनिया के अन्य हिस्सों में जो देखने को मिला है उसके आधार पर यह मानने का कोई कारण नहीं है कि आगामी हफ्तों या महीनों में या कोरोना वायरस की अगली लहर में, बड़ी संख्या में बच्चे इससे प्रभावित होंगे.’’


बहरहाल, उन्होंने बाल कोविड सेवाओं में सुधार की जरूरत पर और इन्हें शेष कोविड-19 प्रबंधन संरचना से जोड़ने पर जोर दिया.


उन्होंने कहा, ‘‘यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि नवजात, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल संबंधी सुविधाओं की आवश्यकता है. दस वर्ष से कम आयु के बच्चों की देखभाल करने के लिए मां या फिर पिता की जरूरत होती है. इसी तरह संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव समयपूर्व हो सकता है. जहां तक मैं जानता हूं... उपचार संबंधी प्रोटोकॉल तैयार हो चुके हैं और विभिन्न बाल चिकित्सा समूह एवं संगठन इनकी समीक्षा कर रहे हैं.’’


अरोड़ा ने कहा कि इसी तरह से अस्पतालों में देखभाल से जुड़ी विशिष्ट जरूरतों पर भी काम किया जा रहा है.


कोविड-19 कार्यसमूह के प्रमुख ने कहा, ‘‘देश में बच्चों का उपचार पहले से चल रहा है और ज्यादातर कोविड देखभाल केंद्रों में इससे संबंधित प्रावधान हैं लेकिन बाल कोविड सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है और इन्हें शेष कोविड-19 प्रबंधन संरचना से जोड़ा जाना चाहिए.’’


गौरतलब है कि कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर में वयस्कों से ज्यादा बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने इसके मद्देनजर तैयारी करने को कहा है.


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कोविड-19 की संभावित आगामी लहर में बच्चों में ज्यादा संक्रमण फैलेगा या उनमें ज्यादा मामले आएंगे.


उन्होंने संवाददाताओं से सोमवार को कहा, ‘‘अगर हम पहली एवं दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हैं तो यह काफी मिलता-जुलता है और यह दिखाता है कि बच्चे सामान्य तौर पर सुरक्षित हैं और अगर उनमें संक्रमण होता भी है तो उनमें मामूली संक्रमण आता है. और वायरस ज्यादा नहीं बदला है इसलिए इस तरह के संकेत नहीं हैं कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे.’’


इस तरह की अवधारणा है कि वायरस शरीर में एसीई रिसेप्टर (एक तरह का एंजाइम जो आंत, गुर्दे, हृदय की कोशिकाओं से जुड़ा होता है) के माध्यम से प्रवेश करता है और वयस्कों की तुलना में बच्चों में यह रिसेप्टर कम होता है. उन्होंने कहा कि इसी अवधारणा के आधार पर बताया जा रहा है कि बच्चों में संक्रमण का स्तर कम क्यों है.


गुलेरिया ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने इस सिद्धांत को प्रचारित किया उनका कहना है कि अभी तक बच्चे प्रभावित नहीं हुए हैं, इसलिए संभवत: तीसरी लहर में वे ज्यादा प्रभावित होंगे. लेकिन अभी तक साक्ष्य नहीं मिला है कि आगामी लहर में बच्चों में इसका गंभीर संक्रमण होगा या उनमें ज्यादा मामले आएंगे.’’


इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने हाल में कहा था कि बच्चों में भी वयस्कों के जितना ही संक्रमण का खतरा प्रतीत होता है, लेकिन ‘‘तीसरी लहर में विशेष रूप से बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका नहीं है.’’


देश के शीर्ष बाल अधिकार निकाय ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि देश में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों को बच्चों एवं नवजातों को बचाने के लिए तैयारियां तेज करनी चाहिए.


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