भारत अभी भी कोरोना की दूसरी लहर के खिलाफ जूझ रहा है. हालांकि देश के कई हिस्सों से कोविड ने नए मामलों में कमी देखी जा रही है. लेकिन चिंता की बात ये हैं कि देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में कोविड अपने पैर पसारते हुए दिखाई दे रहा है. रिसर्च के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन डेवलपमेंट डाटा लैब (Development Data Lab) औऱ शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनूप मलानी ने 21 मई तक के उपलब्ध डेटा का विश्लेषण कर ये आशंका जाहिर की है. उनके अध्ययन के मुताबिक उत्तर-पूर्वी राज्यों में कोविड का रिप्रॉडक्टिव रेट विस्फोटक हो सकता है.


क्या है Reproductive rate 


Reproductive rate का अर्थ है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है. डेवलपमेंट डेटा लैब के अध्ययन के मुताबिक नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों के लिए Reproductive rate 1 से ज्यादा है. उदाहरण के लिए त्रिपुरा के लिए Reproductive rate 1.36 है. यानि यहां 100 संक्रमित मरीजों की संख्या 2 हफ्तों के भीतर बढ़कर 5000 तक पहुंच सकती है. कर्नाटक जैसे राज्यों में Reproductive rate 0.89 है.  कुल मिलाकर Reproductive rate 1 से कम होना इस बात का संकेत माना जा सकता है कि वहां कोरोना महामारी ढलान की ओर है.


नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में Reproductive rate ज्यादा है


ऐसे में इस अध्ययन के मुताबिक महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल व दिल्ली जैसे राज्यों में Reproductive rate 1 से कम है. यहां कोविड के नए प्रकरणों में कमी आती दिखाई दे रही है. लेकिन त्रिपुरा(1.36), मेघालय(1.31), अरुणाचल प्रदेश(1.26), मिजोरम(1.22), सिक्किम(1.22), नागालैंड(1.21), मणिपुर(1.17) जैसे राज्यो में Reproductive rate 1 से अधिक है, लिहाजा यहां कोविड के प्रकरणों में बढोतरी होगी. हालांकि इन राज्यों में रोजाना आने वाले कोविड के प्रकरण बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन जिन राज्यों ने कोविड के प्रकोप का सामना किया है, उनके अनुभव से पता चलता है कि Reproductive rate अधिक होने का मतलब संक्रमण तेजी से फैल सकता है और स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को प्रभावित कर सकते है.


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