सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के बेहट कस्बे में एक हैंडपंप को लेकर विवाद चल रहा है. विवाद की शुरुआत प्रशासन द्वारा एक शिकायत पर एक हैंडपंप को उखाड़े जाने से हुई है. स्थानीय प्रशासन ने एक दुकानदार की शिकायत पर हैंडपंप को उखड़वा दिया. प्रशासन के जरिए की गई इस कार्रवाई के बाद समाज के एक तबके ने उसको लेकर सवाल खड़े किए तो इसके बाद इस पर जमकर राजनीति भी शुरू हो गई.


कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर भीम आर्मी और बजरंग दल तक इस विवाद में कूद पड़े. फिलहाल शिकायत देने वाले दुकानदार की मानें तो उसने यह शिकायत सिर्फ इस वजह से की थी क्योंकि उस हैंडपंप की वजह से वह अपनी दुकान को जरूरत के हिसाब से नहीं बनवा पा रहा था. इसके साथ ही हैंडपंप के चलते दुकान के ठीक सामने काफी ज्यादा गंदगी होने लगी थी. वहीं पर समाज के दूसरे तबके का कहना है कि जिस हैंडपंप को हटाया गया, वह लोगों के लिए पानी पीने का एक साधन था और उसके हटने से बड़ी दिक्कत हो गई है.


बेहट कस्बे के रहने वाले मुरारी झा ने प्रशासन को शिकायत दी थी और प्रशासन ने हैंडपंप को हटा दिया. इसके बाद से ही मुरारी की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. उनका कहना है कि उनको अपने परिवार की जान का खतरा है क्योंकि प्रशासन के जरिए की गई कार्रवाई के बाद अब उनके परिवार को धमकियां मिलनी शुरू हो गई है और इसी वजह से अब मुरारी का पूरा परिवार बेहट छोड़ कर पलायन करने की बात कर रहा है.


अचानक नहीं की कार्रवाई


वहीं शिकायत देने वाले मुरारी का कहना है कि प्रशासन ने कार्रवाई अचानक नहीं की. हैंडपंप को हटाने को लेकर पिछले साल ही जिला पंचायत में शिकायत दी गई थी लेकिन उनकी तरफ से बार-बार मांग करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई. उल्टा उनके परिवार के पास धमकी आने लगी कि अगर उन्होंने हैंडपंप हटवाने की कोशिश की तो अच्छा नहीं होगा. जिसके बाद इस साल की शुरुआत में स्थानीय प्रशासन को मुरारी और उनके भाई ने शिकायत दी और उसी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने कुछ दिनों पहले उनकी दुकान के सामने लगा हैंडपंप हटा दिया.


मुरारी के परिवार की मानें तो उन्होंने यह शिकायत सिर्फ इस वजह से की क्योंकि जिस दुकान के सामने यह हैंडपंप था, वह दुकान वो चाहकर भी शुरू नहीं कर पा रहे थे. उसकी वजह थी कि दुकान में अंदर आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था. वहीं आसपास मौजूद दुकानदारों का इस मुद्दे पर अलग-अलग पक्ष सामने आ रहा है. कुछ का कहना है कि हैंडपंप हटाने से पीने के पानी की भी परेशानी हो गई है तो कुछ का कहना है कि हैंडपंप हटाने से कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि हटाए गए हैंडपंप से 20 से 30 मीटर की दूरी पर ही एक दूसरा हैंडपंप लगा है, जिसका इस्तेमाल कर पानी लिया जा सकता है.


वहीं बात की जाए इस दुकान के सामने लगे हैंडपंप को लेकर चल रहे विवाद की तो यह विवाद कोई नया नहीं है. पंडित मुरारी झा ने जिस शख्स से दुकान खरीदी थी एबीपी न्यूज़ ने उससे भी बात की. एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान उसने बताया कि उसने खुद भी यह दुकान बेचने से पहले हैंडपंप हटाने के लिए काफी कोशिश की थी लेकिन कोशिश सफल नहीं हुई. जिसके बाद उसने बाजार दाम से कम कीमत पर दुकान को मुरारी झा को भेज दिया.


इसी बीच कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी जानकारी दी कि हटाया गया हैंडपंप कोई अकेला हैंडपंप नहीं है, जिसको प्रशासन ने हटाया हो. पिछले कुछ सालों के दौरान आसपास के इलाके में इस तरह से कुछ और भी हैंडपंप हटाए गए हैं और वह भी लोगों की शिकायतों और जरूरत को देखते हुए. एबीपी न्यूज़ उन जगहों पर भी पहुंचा, जहां पर पहले हैंडपंप लगे थे लेकिन लोगों की शिकायतों और जरूरतों को देखते हुए प्रशासन ने उनको वहां से हटाया.


राजनीतिक दलों का प्रदर्शन


हालांकि इस पूरे विवाद में राजनीतिक दल जरूर कूद पड़े हैं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी जहां दुकान के बाहर ही हैंडपंप लगाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और हंगामा कर रहे हैं. तो वहीं बजरंग दल ने भी इस मुद्दे में उतरकर हैंडपंप को उसी जगह पर ना लगाए जाने की मांग की है. लेकिन इन सबके बीच स्थानीय प्रशासन का यह कहना है कि लोगों को अगर हैंडपंप के हटने की वजह से किसी तरह की दिक्कत हो रही है तो पास ही एक और हैंडपंप लगा दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें: एक बार फिर चीन ने लगाई भारतीयों के मोबाइल में सेंध, चीनी ऐप के जरिए लगाया करोड़ों रुपयों का चूना