Congress Task Force 2024: तमाम राज्यों में मिल रही हार के बाद कांग्रेस ने राजस्थान में अपना तीन दिन का चिंतन शिविर बुलाया, जिसमें पार्टी के तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई. लेकिन सबसे ज्यादा फोकस मिशन 2024 पर किया गया. कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024) को लेकर लगातार अपनी तैयारियों में जुटी है और अब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इसके लिए अपनी टीम का ऐलान भी कर दिया है. लेकिन अब सवाल है कि मिशन 2024 के लिए बनाई गई ये टीम मजबूत सत्ताधारी बीजेपी के सामने चुनौती खड़ी कर पाएगी?


दरअसल कांग्रेस पार्टी की तरफ से मंगलवार 24 मई को 8 सदस्यीय टास्क फोर्स का ऐलान किया गया. इसका नाम 'टास्क फोर्स- 2024' रखा गया. बताया गया कि ये टीम लोकसभा चुनावों के अलावा चिंतन शिविर में लिए गए अहम फैसलों पर काम करेगा और उन्हें जमीन पर उतारने की पूरी रणनीति तैयार होगी.


पार्टी के इन नेताओं को मिली 2024 की जिम्मेदारी 
पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की इस टॉप टीम में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला और चुनाव रणनीतिकार सुनील कानगोलू शामिल हैं. इस टास्क फोर्स के गठन के कुछ ही देर बाद इसकी पहली बैठक भी बुलाई गई. जिसमें प्रियंका गांधी, पी चिदंबरम, जयराम रमेश और अन्य पार्टी नेता शामिल हुए. 


2024 में कितना कारगर साबित होगा प्रियंका फैक्टर?
अब उस सवाल पर आते हैं कि 2024 में मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए कांग्रेस का ये टास्क फोर्स कितना मजबूत है? तो सबसे पहले इसमें शामिल पार्टी नेता प्रियंका गांधी की बात करते हैं. उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी. वो यूपी में प्रचार से लेकर पार्टी से जुड़ी हर बैठक में हिस्सा ले रही थीं और उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की पूरी कोशिश की. इसके बाद कहा गया कि प्रियंका फैक्टर कांग्रेस के लिए यूपी में संजीवनी का काम कर सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी महज दो सीटों पर सिमटकर रह गई. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि प्रियंका गांधी क्या 2024 के लिए लोगों के बीच पहुंचकर पार्टी की सीटें बढ़ा पाएंगीं?


टास्क फोर्स में दूसरे बड़े नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम हैं. जो लगातार मोदी सरकार को ट्विटर पर घेरने का काम करते हैं. लेकिन उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कहीं न कहीं लोगों के बीच उनकी छवि खराब हुई है. ऐसे में पी चिदंबरम लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी का आधार कितना मजबूत कर पाते हैं, ये देखना होगा. चिदंबरम के अलावा पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी टास्क फोर्स में शामिल हैं. जो पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का काम तो कर सकते हैं, लेकिन हरियाणा में मिली हार के चलते सुरजेवाला के कद में भी कमी आई. 


प्रशांत किशोर के पुराने साथी को अहम जिम्मेदारी
सुरजेवाला की ही तरह केसी वेणुगोपाल और अजय माकन जैसे नेता भी पार्टी के अंदरूनी डेंट को रिपेयर करने का काम कर सकते हैं, लेकिन जनता के बीच अपना प्रभाव डालना इनके लिए भी थोड़ा मुश्किल है. हालांकि इस टीम में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथी सुनील कानगोलू भी शामिल हैं, जो कांग्रेस के लिए जमीनी रणनीति तैयार करने का काम कर सकते हैं. कानगोलू ने कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ काम भी किया है. वह फिलहाल कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस के चुनावी तैयारियों को धार देने में मदद कर रहे हैं. 


हर नेता को मिलेगी अलग जिम्मेदारी
इस टास्क फोर्स को लेकर कांग्रेस का कहना है कि कार्यबल में शामिल हर नेता को संगठन, संचार और मीडिया, संपर्क, वित्त और चुनाव प्रबंधन से संबंधित विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी. इनके साथ एक-एक टीम भी काम करेगी, जिसका ऐलान जल्द किया जाएगा. हालांकि कांग्रेस ने टास्क फोर्स 2024 के अलावा दो और ग्रुप बनाए हैं. जिनमें पॉलिटिकल अफेयर्स ग्रुप और सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप शामिल हैं. राजनीतिक मामलों के ग्रुप में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कुछ अन्य बड़े नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के नाराज ग्रुप "जी 23" के दो अहम नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को जगह मिली है. उनके अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह, वेणुगोपाल और जितेंद्र सिंह को इस ग्रुप में शामिल किया गया है.


सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप में दिग्विजय सिंह, सचिन पायलट, शशि थरूर, रवनीत सिंह बिट्टू, केजे जॉर्ज, ज्योति मणि, प्रद्युत बारदलोई, जीतू पटवारी और सलीम अहमद को जगह दी गई है. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समन्वय के लिए बने इस समूह में शामिल कई नेता कांग्रेस के भविष्य के तौर पर देखे जा रहे हैं. 


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