बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस हाईकमान ने गुरुवार (27 नवंबर, 2025) को दिल्ली में एक अहम समीक्षा बैठक बुलाई. बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने बिहार कांग्रेस के सभी सांसदों, विधायकों और हारे हुए उम्मीदवारों के साथ अलग-अलग फीडबैक लिया. इस पूरी समीक्षा प्रक्रिया से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को बाहर रखा गया.

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सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने विधायकों के साथ वन-टू-वन मीटिंग की, जबकि हारे हुए प्रत्याशियों को 10-10 के समूह में बुलाकर उनसे रिपोर्ट ली गई. बैठक का माहौल बेहद तल्ख रहा और कई नेताओं ने खुलकर अपनी नाराजगी सामने रखी.

हार के जिम्मेदार कौन? नेताओं ने खोली पोल

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अररिया से कांग्रेस विधायक अबिदुर रहमान ने बैठक में सीधे आरोप लगाए कि टिकट वितरण में भारी गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा, “बिहार में जो हार हुई है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. मैंने अपनी रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंप दी है. टिकट में हेर-फेर हुआ.”

वहीं, पूर्व विधायक अमित कुमार टुंडा ने और भी बड़ा दावा करते हुए कहा, “बिहार में अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए.” इसी के साथ कांग्रेस के हारे प्रत्याशी इरफान आलम ने आरोप लगाया कि सीमांचल में AIMIM ने नकारात्मक नरेटिव गढ़ा, जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हुआ.

जबकि बिहार में कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी मुसव्विर आलम ने सबसे तीखे सुर में महागठबंधन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “गठबंधन जल्दबाजी में किया गया, जिससे गलत संदेश गया. तेजस्वी यादव ने जानबूझकर गलतियां कीं. कांग्रेस को RJD से अलग हो जाना चाहिए और अकेले लड़ना चाहिए.” मुसव्विर ने यहां तक दावा किया कि अगर किसी मुस्लिम चेहरे को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार बनाया जाता, तो तस्वीर अलग होती. AIMIM प्रमुख ओवैसी ने जो नरेटिव सेट किया कि ‘मुसलमान अब किसी की दरी नहीं बिछाएगा’, उसका बड़ा असर हुआ और मुस्लिम वोट खिसक गए.

बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने दिए दो बड़े निष्कर्ष

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि दो प्रमुख आकलन सामने आए. पहला कि वोट खरीदी और चुनाव प्रक्रिया में धांधली और दूसरा महागठबंधन और कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरियां. उन्होंने कहा कि पार्टी अब इन दोनों मोर्चों पर आगे ठोस कदम उठाएगी.

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