Congress President Election: कांग्रेस (Congress) में चल रही उठापटक के बीच अध्यक्ष पद (President Post) के लिए आज शशि थरूर (Shashi Tharoor) और मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Khadge) ने नामांकन कर दिया है. इससे पहले कल कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने नामांकन पत्र लिया जरूर लेकिन नामांकन नहीं किया. उन्होंने अपना समर्थन मल्लिकार्जुन खड़गे को दे दिया है. राजनीतिक गलियारों में इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष पद (Congress President) को लेकर हो रही सियासत सुर्खियों में है. मौजूदा दौर में कांटों भरा ताज है कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी.


अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा लेकिन अध्यक्ष चाहे जो भी हो उसके सामने चुनौतियों का अंबार होगा. इन चुनौतियों के बारे में जानेंगे लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि अध्यक्ष पद के नामांकन को लेकर क्या-क्या हुआ? अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए कई नेताओं के नाम सामने आए.


शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खेलेंगे फाइनल


सबसे पहले अशोक गहलोत का नाम सामने आया. उन्होंने अपना पत्ता राजस्थान में शक्ति प्रदर्शन करके खुद ही काट लिया. इसके बाद दिग्विजय सिंह का नाम सामने आता है. वह नामांकन पत्र लेकर तो आते हैं लेकिन पत्र दाखिल नहीं करते हैं और अपना समर्थन मल्लिकार्जुन खड़गे को दे देते हैं.


शशि थरूर, जो इस रेस को जीतने के लिए सबसे पहले खड़े दिखाई दिए थे, वो अंत तक बने रहे और आज अपना नामांकन भी दाखिल कर देते हैं. अब बात करते हैं ऐसे नाम की जो अचानक सभी के सामने आया और उन्हें कांग्रेस के बहुत नेताओं का समर्थन भी मिला है. वो नाम है मल्लिकार्जुन खड़गे का.


कांग्रेस अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौतियां


कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के वाले नेता को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. ये चीज तो सभी के सामने है कि कांग्रेस धीरे-धीरे कमजोर पार्टी होती जा रही है. मौजूदा दौर में 17 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को मिला लिया जाए तो इस पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं है. 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में इसका सिर्फ एक-एक सांसद है. 5 राज्य ऐसे हैं जहां पर कोई विधायक नहीं है. देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश जहां कांग्रेस के सिर्फ 2 विधायक हैं. 2 ही राज्य ऐसे हैं जहां पर कांग्रेस का मुख्यमंत्री है और 3 राज्यों में गठबंधन की सरकार है.


अध्यक्ष के लिए कांटो भरा ताज क्यों



  • कांग्रेस को अपने बुरे दौर से निकालने की चुनौती

  • कांग्रेस को देशभर में अपनी राजनीतिक उपस्थिति फिर से दर्ज कराना

  • कांग्रेस के नेताओं को दूसरी पार्टी में जाने से रोकना

  • देश की राजनीति में कांग्रेस की वापसी कराना


ये कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे पार पाना कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए आसान नहीं रहेगा. इसीलिए अध्यक्ष के लिए कांटों भरा ताज कहा जा रहा है.


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