Congress President Election: राजनीतिक गलियारों में इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष पद (Congress President Election) को लेकर चल रही सियासत सुर्खियों में है. अधिसूचना जारी होने से पहले भी इसे लेकर घमासान जारी था. इस बीच अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के कई नेताओं के नामांकन दाखिल करने की खबरें सामने आईं. हालांकि, कई बैठकों के बाद नेताओं ने अपने नाम वापस लेने का फैसला भी किया. कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) इस रेस में अब तक बने हुए हैं. वहीं, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने भी इसमें हिस्सा लेकर इसे और रोचक बनाने का काम किया है. 


अब नामांकन के आखिरी दिन इस रेस में दो प्रमुख नाम शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के हैं. दोनों के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन ज्यादातर नेता खड़गे के समर्थन में दिखाई पड़ रहे हैं. इन कयासों के बीच यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि आखिर कौन कांग्रेस का अगला अध्यक्ष बनकर सामने आने वाला है. 66 साल के शशि थरूर ने कांग्रेस में कई बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं. वहीं, 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को हमेशा से ही गांधी परिवार का करीबी माना जाता रहा है. 




शशि थरूर सियासी सफर 


66 साल के शशि थरूर भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व राजनयिक हैं, जो 2009 से केरल के थिरुवनंतपुरम से लोक सभा सांसद हैं. थरूर की जड़े छात्र राजनीति से जुड़ी हैं. वह कॉलेज के समय से ही क्विज और डिबेट जैसीर गतिविधियों में काफी एक्टिव रहते थे. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों में काफी अनुभव है. संयुक्त राष्ट्र में 29 साल कार्यरत रहने के बाद, उन्होंने महासचिव पद के लिए (2006) चुनाव में संयुक्त राष्ट्र से प्रस्थान किया था. G23 के नेता होने के साथ ही वह तीन बार के सांसद रह चुके हैं.   
   
मल्लिकार्जुन खड़गे सियासी सफर 


80 साल के सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार नेताओं में से एक माने जाते हैं, जोकि राज्यसभा में नेता विपक्ष हैं. उनकी राजनीतिक करियर की नींव उनके कॉलेज के दिनों से ही पड़ गई थी. 1972 के बाद उन्होंने विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक लगाई थी. वह 9 बार के विधायक और 3 बार के सांसद हैं. साल 2020 में वह कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए. वहीं, साल 2021 को उन्हें राज्यसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी पसंद बनाया.


इन मामलों में एक जैसे है खड़गे-थरूर 


भले ही राजनिती में काफी अलग हैं, लेकिन खड़गे और शशि दोनों को ही किताबों से बहुत लगाव है. रूढ़िवादी प्रथाओं के खिलाफ दोनों को ही बोलते हुए देखा जाता है. दोनों ही नेताओं ने छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति में कदम रख दिया था.  वहीं, शशि थरूर ने 22 साल की उम्र में ही पीएचडी की डिग्री पूरी कर ली थी, जरअसल, 1978 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी की थी. 


बुद्धिजीवियों में गिने जाते हैं थरूर


शशि थरूर काफी कम उम्र में ही संयुक्त राष्ट्र से जुड़ गए थे. उन्हें किताबें लिखने-पढ़ने का काफी शौक रहा है. उन्होंने कई तरह की किताबें लिखी हैं. चाहे राजनीति हो, नॉन फ़िक्शन या धर्म उन्हें सभी तरह की किताबें लिखने का अनुभव भी है. वह बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए भी जाने जाते हैं. उनके कई भाषण भी इंटरनेटर पर वायरल हुए हैं, जिन्हें काफी पसंद किया गया. 


कांग्रेस संकटमोचक कहे जाते हैं खड़गे 


कर्नाटक के गुलबर्ग से आने वाले खड़गे को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है. मोदी लहर भी उनका आगे टिक नहीं पाई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव जब सभी नेता चुनाव हार रहे थे तब उन्होंने अपनी सीट बचाने में कामयाबी हासिल की थी. इसके बाद उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया. 


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