Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव और राजस्थान की सीएम की कुर्सी इस वक्त सियासी गलियारों में चर्चा की वजह बने हुए हैं. इन दो अहम सवालों के इर्द गिर्द कुछ किरदार हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है. इन किरदारों में शशि थरूर, मनीष तिवारी, अशोक गहलोत, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह और सीपी जोशी शामिल हैं.  


इन किरदारों में शशि थरूर और मनीष तिवारी असंतुष्ट नेताओं के G-23 ग्रुप का हिस्सा रहे हैं. थरूर बार-बार अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में खुद को पेश कर रहे हैं. वहीं, मनीष तिवारी भी खुले तौर पर पार्टी के संगठन में बदलाव की बात करते रहे हैं. मनीष तिवारी और शशि थरूर खुलकर गांधी परिवार से लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं को लेकर बागी सुर में बात कर चुके हैं. इस लिस्‍ट में अब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का भी नाम जुड़ गया है. इन दोनों को कांग्रेस अध्‍यक्ष चुनाव की वाइल्ड कार्ड एंट्री कहा जा सकता है. 


क्यों फ्रंटरनर हैं अशोक गहलोत
अब बात उन दो किरदारों की, जो इस सियासी बिसात के फ्रंट रनर और छुपे रुस्तम कहे जा रहे हैं. अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद का फ्रंट रनर माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें गांधी परिवार का सबसे करीबी माना जाता है. अगर वह कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में उतरते हैं तो उनकी जीत निश्चित है. अब एक नई स्थिति की ओर चलते हैं. फ्रंट रनर यानी गहलोत की अगर अध्‍यक्ष पद के चुनाव में एंट्री हुई तो राजस्थान की सियासत में सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान होना तय है. ऐसे में सवाल यह है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बने तो राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा? इस अगले सीएम के नाम की चर्चा में ही छुपे रुस्तम की एंट्री होती है. 


नोटिफिकेशन जारी होने के बाद चर्चा तेज
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के एक दिन पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने इस चुनावी समर में उतरने का साफ संकेत दे दिया है. गहलोत ने दो टूक कहा कि वह पार्टी का फैसला मानेंगे, लेकिन उससे पहले राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने के लिए मनाने का एक आखिरी प्रयास करेंगे. पहले से ही चुनाव लड़ने का संकेत दे रहे लोकसभा सदस्य थरूर ने कांग्रेस के मुख्यालय जाकर पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुदसूदन मिस्त्री से मुलाकात की और नामांकन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल की.


गहलोत को छोड़ना पड़ सकता सीएम का पद
अशोक गहलोत अध्यक्ष बने तो राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद उन्हें छोड़ना होगा. कांग्रेस के उदयपुर रेजॉल्‍यूशन का 'एक व्यक्ति एक पद' के कॉन्सेप्ट के चलते उनको ऐसा करना जरूरी होगा. सचिन पायलट और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिश्ते कैसे हैं, इसको लेकर राज्य की सियासत के पिछले पन्नों से धूल साफ करने की जरूरत है. अशोक गहलोत के कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन होने पर राज्य का सीएम कौन होगा इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. अशोक गहलोत के बाद राजस्थान का सबसे मज़बूत चेहरा सचिन पायलट माने जाते हैं, लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट को अगला सीएम बनाए जाने के पक्ष में नहीं है. 


अशोक गहलोत ने इस नाम की सिफारिश की
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसी के चलते राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का नाम अगले मुख्यमंत्री के लिए सुझाया है. खबर है कि अशोक गहलोत ने कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, जिसके कुछ घंटों बाद उन्होंने साफ कर दिया कि वो कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की रेस में हो सकते हैं. अशोक गहलोत और सीपी जोशी के रिश्ते खटास भरे रहे हैं. हालांकि जून 2020 में राजस्थान में अशोक गहलोत को अपनी सरकार बचाने में सीपी जोशी ने मदद की थी. ये वो वक्त था जब पायलट की अगुवाई में मानेसर में बागी विधायकों ने डेरा डाल दिया था. डेरा डालने वाले 19 विधायकों को राज्यपाल सीपी जोशी की तरफ से अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया गया था. 


गहलोत और सोनिया की मीटिंग
सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी की तरफ से अशोक गहलोत को ये आश्वासन दिया गया है कि पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होगा. सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत से ये भी कहा है कि 'एक व्यक्ति एक पद' के सिद्धांत तभी सामने आएगा, जब कोई उम्मीदवार जीत हासिल कर लेगा. ये साफ हो गया है कि वो पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव में शामिल हो सकते हैं. गहलोत ने कहा कि ये तो वक्त तय करेगा कि मैं कहा रहूंगा. उन्होंने कहा, 'मैं वहीं रहना चाहता हूं, जहां से पार्टी को मुझसे फायदा होगा. मैं पीछे नहीं हटूंगा.'


कौन है छुपा रुस्तम
कांग्रेस करीब 22 साल बाद पहले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रही है. इस चुनाव में गैर गांधी परिवार के 2 उम्मीदवारों शशि थरूर और अशोक गहलोत के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. अशोक गहलोत के हिस्से में अध्यक्ष पद आता है तो छुपे रुस्तम सीपी जोशी के नाम पर विचार हो सकता है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर सीपी जोशी कौन हैं. 


ऐसे शुरू हुआ करियर
सीपी जोशी इस वक्त राजस्थान विधानसभा स्पीकर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनका जन्म राजसमंद जिले के कुंवरिया में हुआ है. सीपी जोशी नो मनोविज्ञान में डॉक्टरेट और लॉ की डिग्री भी हासिल की है. वो लेक्चरर के रूप में काम कर चुके हैं. राजस्थान के पूर्व सीएम मोहनलाल सुखाड़िया ने उन्हें अपने इलेक्शन कैंपेन की जिम्मेदारी सौंपी थी. चुनाव में सुखाड़िया को जीत मिली तो उन्होंने 1980 में सीपी जोशी को टिकट दिया. वह 29 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. साल 2008 में वो राजस्थान कांग्रेस के मुखिया की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. वो राजस्थान सरकार में एक मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. वो वहीं यूपीए-2 की सरकार में भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.


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