Abhishek Manu Singhvi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल चुकी है. ऐसे ही संजय सिंह को भी दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत मिली है. हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) के इन दोनों ही नेताओं को जेल से बाहर लाने में कांग्रेस के एक नेता का बहुत बड़ा रोल रहा है. दरअसल, हम अभिषेक मनु सिंघवी की बात कर रहे हैं, जिन्होंने दोनों ही नेताओं के लिए सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं और उन्हें जमानत दिलवाई. 


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी महीने एक केस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने सिंघवी के समय की पाबंदी को लेकर उनकी तारीफ की थी. जस्टिस ने कहा था, "सभी को डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी से सीखना चाहिए कि सभी अदालतों में बिल्कुल सही समय पर कैसे उपस्थित रहना है." इस पर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कांग्रेस नेता की तारीफ करते हुए कहा था, "डॉ. सिंघवी कभी छुट्टियां भी नहीं लेते."


कैसे केजरीवाल और संजय सिंह को दिलवाई जमानत? 


सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की तरफ से दलीलें रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपों पर बखूबी जवाब दिया. सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि किस तरह आचार संहिता लागू होने के ठीक पांच दिन बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया. सिंघवी ने जब इस मुद्दे को उठाया था, तभी सुप्रीम कोर्ट ने हिंट दे दिया था कि वह केजरीवाल को जमानत देने वाली है. ऐसा ही शुक्रवार को देखने को मिला, जब उन्हें एक जून तक अंतरिम जमानत मिली. 


वहीं, संजय सिंह के मामले में अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पांच महीने तक हिरासत में रखने के बाद भी ईडी आप नेता के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर पाई. संजय सिंह की गिरफ्तारी बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा के बयान के आधार पर हुई थी, जो ईडी और सीबीआई के लिए सरकारी गवाह बना था. सिंघवी ने अदालत को बताया कि अरोड़ा के 9 बयानों में संजय सिंह का जिक्र नहीं था, जबकि 10वें बयान में आप नेता का नाम लेने के बाद उन्हें अरेस्ट किया गया. संजय सिंह को 4 अप्रैल को जमानत दी गई.


कौन हैं अभिषेक मनु सिंघवी?


अभिषेक मनु सिंघवी का जन्म 24 फरवरी, 1959 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ. वह शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छे रहे हैं. दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बैचलर डिग्री हासिल की. वहीं, उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से पीएचडी की और फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 'पब्लिक इंटरनेशनल लॉ' (पीआईएल) का कोर्स किया. 


सिंघवी की गिनती देश के टॉप वकीलों में होती है, जो एक बार अदालत में पेश होने के लिए 20.5 लाख रुपये की मोटी फीस लेते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में कार्य करने के अलावा, वह यूपीए 2 शासन के दौरान कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थे. उन्होंने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के रूप में भी सेवाएं दी हैं. वह अक्सर ही कुछ नामी मामलों के दौरान दलीलें रखते हुए देखे जाते हैं.


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