वन रैंक वन पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पूर्व सैनिकों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है. पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 30 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों के लिए आज त्रासदी का पहाड़ टूट पड़ा है. वन रैंक वन पेंशन से जुड़ी पूर्व सैनिकों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. मोदी सरकार ने याचिका का विरोध किया था. यह सैनिकों से विश्वासघात है. बीजेपी और मोदी सरकार सैनिकों के नाम पर वोट लेती है लेकिन उन्हें वन रैंक वन पेंशन का विरोध करती है.


सुरजेवाला ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन का फैसला कांग्रेस की यूपीए सरकार ने लिया जिसे मोदी सरकार ने वन रैंक फाइव पेंशन बना दिया. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में यूपीए सरकार द्वारा जारी आदेश से जुड़े तथ्य नहीं रखे.


सुरजेवाला के मुताबिक, 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने तीन बार पूर्व सैनिकों की पेंशन बढ़ाई और उन्हें 7 हजार करोड़ का फायदा दिया. 17 फरवरी 2014 के बजट में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कोश्यारी कमिटी के मुताबिक वन रैंक वन पेंशन लागू करने की घोषणा की. 26 फरवरी 2014 को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तीनों सेनाओं के मुखिया, रक्षा सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें फैसला हुआ कि एक रैंक से रिटायर होने वाले सभी अधिकारियों को एक समान पेंशन मिलेगी. बढ़ी हुई पेंशन का लाभ सभी पूर्व सैनिकों को मिलेगा.


सुरजेवाला ने कहा कि 7 नवम्बर 2015 मोदी सरकार ने नया आदेश जारी कर OROP को वन रैंक, फाइव पेंशन बना दिया. समय से पहले रिटायरमेंट लेने वालों को इससे बाहर कर दिया गया. जबकि 46% सैनिक समय से पहले रिटायर हो जाते हैं. मोदी सरकार पर हमला करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि क्या OROP भी एक चुनावी जुमला था? सुरजेवाला ने मांग की कि सरकार OROP को कांग्रेस सरकार के फैसले के मुताबिक लागू करे.


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